लखनऊ: उत्तर प्रदेश में वर्ष 2026 में प्रस्तावित त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर तैयारियां तेज हो गई हैं। इन चुनावों में ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत के आरक्षण को लेकर सबसे बड़ा सवाल यह है कि आरक्षण का आधार वर्ष कौन-सा होगा। पंचायतीराज विभाग इसी को लेकर जल्द ही एक प्रस्ताव कैबिनेट में भेजने की तैयारी कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक, इस माह के अंत तक यह प्रस्ताव कैबिनेट में रखा जा सकता है। आरक्षण तय करने की प्रक्रिया इसी आधार वर्ष पर निर्भर होगी। वर्ष 2021 के पंचायत चुनावों में वर्ष 2015 को आधार वर्ष माना गया था।

क्या होता है आधार वर्ष और क्यों है यह ज़रूरी?

आधार वर्ष वह वर्ष होता है जिसकी पिछली आरक्षित सीटों की स्थिति देखकर अगली बार आरक्षण का 'रोटेशन' यानी घुमाव किया जाता है। इसका मकसद हर वर्ग को समान अवसर देना होता है। मतलब यह कि जो सीट 2021 में किसी वर्ग को मिली थी, वह 2026 में यथासंभव किसी अन्य वर्ग के लिए आरक्षित की जाएगी।

कौन होगा आधार वर्ष: 2015 या 2021?

जानकारों के मुताबिक, अभी यह तय नहीं है कि 2026 चुनाव के लिए आधार वर्ष 2021 होगा या 2015। हालांकि, आरक्षण की गणना 2011 की जनगणना के आंकड़ों के आधार पर की जा रही है। इससे संकेत मिलते हैं कि 2015 या 2021 में से ही कोई एक वर्ष चुना जाएगा।

आरक्षण का रोटेशन क्रम:

आरक्षण इस क्रम में तय होता है: ST महिलाएं → ST → SC महिलाएं → SC → OBC महिलाएं → OBC → सामान्य महिलाएं

आरक्षण कैसे होगा तय?

यदि किसी ब्लॉक में अनुसूचित जाति के लिए प्रधान पद आरक्षित करने हैं, तो उस ब्लॉक के ग्रामों को एससी जनसंख्या के अनुसार अवरोही क्रम (ज्यादा से कम आबादी) में रखा जाएगा। फिर उन्हीं ग्राम पंचायतों को आरक्षण मिलेगा जो पिछले आधार वर्ष में आरक्षित नहीं थीं।

कितने पद किस वर्ग को मिलेंगे? 

ग्राम प्रधान: अनुसूचित जनजाति: लगभग 300 पद , अनुसूचित जाति: 12,000 पद , पिछड़ा वर्ग: लगभग 15,500 पद

जिला पंचायत अध्यक्ष: SC: 16 पद , OBC: 20 पद

क्षेत्र पंचायत प्रमुख : ST: 5 पद , SC: 171 पद ,OBC: 223 पद  और महिलाओं के लिए: कुल पदों का 33% आरक्षित।