-मढ़ई मेला में बड़ी संख्या में पहुँचे ग्रामीण, ढालों की धुन पर खूब नाचे पंडा

-कांग्रेस विधायक देवेंद्र पटेल ने की ढालों की पूजा अर्चना उतारी आरती

वसीम कुरैशी सांची रायसेन। (IND28 हर खबर पर पैनी नज़र)

सिलवानी तहसील आदिवासी समाज बहुल क्षेत्र है।आदिवासी समाज की सदियों पुरानी परंपरा के चलते ग्राम प्रतापगढ़ में आदिवासी समाज द्वारा  मढई मेला का आयोजन किया गया।मढ़ई मेला में दूर-दूर से आए ग्रामीण ने मेले में आई ऊंची डालें में रंग बिरंगी मोर पंख एवं नृत्य करते और गीत गाते आदिवासी समुदाय के लोग आकर्षण का केंद्र रहे ।इसी परंपरा के चलते दीपावली पर्व की भाईदूज के बाद प्रतापगढ़ में मढ़ई मेला का आयोजन किया जाता है। मेले में आदिवासी समाज के द्वारा देवी-देवताओं पर अटूट विश्वास के साथ मेले में लगभग दो दर्जन ढाले लेकर ग्रामीण कंधों पर नाचते गाते हुए मढ़ई मेला में पहुंच कर ढालों की पूजा अर्चना नृत्य किया जाता है। मढई मेले में सिलवानी विधायक कांग्रेस के देवेंद्र पटेल ने ढालों की पूजा अर्चना कर आरती उतारी।आदिवासी समाज के लोगों  को तिलक और फूलमाला पहनाकर उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। ग्राम प्रतापगढ़ के मढई मेले में पहुंचे देवेंद्र पटेल ने अपने कार्यकर्ताओं के साथ मढई मेले में दूर दराज क्षेत्र से आया है।आयोजन समिति के लोगों ने आदिवासियों का फूल मालाओं से स्वागत किया। साथ ही विधायक देवेंद्र पटेल द्वारा मढ़ई मेले में जनसंपर्क कर लोगों को दीपावली और भाईदूज पर्व की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी । 

आदिवासी गौंडी परंपरा है प्राचीन: राजा धर्मवीर सिंह----कार्यक्रम को राजा धर्मवीर ने  संबोधित करते हुए कहा कि सिलवानी विकासखंड क्षेत्रकी गौंड आदिवासियों की रीति-रिवाजो का एक मात्र केन्द्र स्थल है।पूर्व गोंड राजाओं की रियासतों का समुचित जन प्रबंधन मानव जीवन शैली की उत्कृष्ट झलक प्रस्तुत करता है। सिलवानी विकासखंड कार्यक्रम संबोधित करते हुए नीलमणि बाबा साहब ने कहा की दीपावली पर्व की भाईदूज से शुरू होकर मढ़ई मेला का उत्सव निरंतर ढाई मास तक गोंडी क्षेत्र में चलता रहता है।राजघराने के राजाओं के द्वारा दीपावली की दूज पर परम्परानुसार ढालों माई को राजदरबार से पूजा अर्चना कर स्वयं राजा के द्वारा ढालों माई को मढ़ई मेला स्थल तक स सम्मानपूर्वक ले जाया जाता है।जहां पर पूरे विधान से गांगो माई की स्थापना कर ढालों माई का ब्याह कराया जाता है।इस तरह से चार महीने वर्षाकाल में शयन करने के पश्चात देवी देवता जागृत होकर क्षेत्र में भ्रमण कर धन-धान्य की पूर्ति करते हैं।यही है हमारी धार्मिक गोंडी परम्परा 

यही देवीय पुरातन परम्परा को जिसे आज भी चुन्हैटिया राजघराने के वंशजों के द्वारा ढालों माई की पूजा अर्चना कर क्षेत्र की सुख-समृद्धि के लिए देवी देवताओं को क्षेत्रीय भ्रमण के लिए सम्मान विदा करते हैं।

नगड़िया की धुन पर नाचे विधायक आदिवासी राजा-----ढालों और नगड़िया की धुनों के आगे  खुद को कांग्रेस विधायक देवेंद्र पटेल को नहीं रोक पाए वह जमकर नाचे।उनके साथ चुनहेटिया के राजा धर्मवीर सिंह, राजा साहब नीलमणि भी खूब थिरके।

न्यूज़ सोर्स : IND28 हर खबर पर पैनी नज़र