सतीश मैथिल/अभिषेक लोधी सांचेत रायसेन। IND28.COM

क़स्बा सांचेत और आसपास के नब्बे प्रतिशत से अधिक खेतों कि नरवाई को आधी रात को जला दिया गया है। अब किसान अपनी गाय को क्या खिलाएंगे यह बात लोगों को सोचने पऱ मजबूर कर रही है। हर वर्ष लोग नरवाई से भूसा बनवाकर रख लेते थे। तब भी लोगों के पास नई गेहूं कि फसल आने से पहले ही भूसा कम पड़ने लगता था पऱ इस बार कुल तीस प्रतिशत लोगों ने ही भूसा बनवाया है। अब बाकि किसान क्या करें उन्हें प्रतिबंध का भी नहीं है डर और लगा रहे हैं नरवाई में आग।

मिट्टी को पहुंच रहा नुकसान, फिर भी नहीं मानते किसान---- नरवाई में आग लगाने से मिट्टी के पोषक तत्व तो कम होते ही हैं और अन्य फसलों की पैदावार भी प्रभावित होती है।

ठोस कार्रवाई नहीं होने से किसान हुए बेफिक्र----इन दिनों गेहूं की कटाई का दौर जिले भर में ख़त्म हो चुका है। बड़ी तेजी में हार्वेस्टर से गेहूं की फसल कटाई किसानों द्वारा कराई गईं हैं। इसके बाद खेत में खड़ी नरवाई पर किसान प्रतिबंध के बाद भी आग लगा रहे हैं। इससे आसपास के खेतों को भी नुकसान हो रहा है। मगर किसान इसके बाद भी नरवाई में आग लगाना नहीं छोड़ रहे। जबकि गेहूं की नरवाई में आग लगाने के कारण मिट्टी के पोषक तत्वों पर भी विपरीत असर पड़ता है। मगर किसान इस महत्वपूर्ण बात को समझने को तैयार नहीं है। जबकि कई बार किसानों को इसकी जानकारी कृषि विभाग द्वारा दी जा चुकी है। फसल काटने के बाद नरवाई को जलाना किसानों के लिए एक परंपरा सा बन गया है। हर वर्ष गेहूं की कटाई शुरु होते ही प्रशासन द्वारा नरवाई जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। बावजूद इसके हर दिन खेतों में धधकती आग इस प्रतिबंध को ठेंगा दिखा रही है। जबकि नरवाई की आग से खड़ी फसलों के साथ घरों में भी आग लगने की घटनाएं हो रही हैं।लेकिन खेतों में नरवाई को जलाने वाले किसानों के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं होने से किसान ब्रफिक्र होकर ऐसा कर रहे हैं। तहसील भर में गेहूं की कटाई का काम लगभग पूरा हो चुका है। अब किसान दूसरी फसल की बोवनी करने की तैयारी में है। इसको लेकर खेत खाली कर बखरनी का काम किया जा रहा है। कई किसान तो जागरुकता के अभाव में नरवाई जला रहे हैं। इसका खामियाजा किसानों को ही उठाना पड़ रहा है, क्योंकि वे अपने ही खेत की मिट्टी के पोषक तत्वों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

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