सतीश मैथिल सांचेत रायसेन। IND28.COM

जिले के सांचेत क्षेत्र में अधिक आमदनी के चलते सरसों की खेती पर किसान अधिक दिलचस्पी दिखा रहे हैं। क्योंकि जनवरी माह में हर साल पानी की किल्लत हो जाती है। पानी की समस्या की वजह से किसान अपने खाली पड़े खेतों में तिलहन व दलहन की खेती करना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। इधर सरसों की खेती पर किसानों ने कुछ अधिक ही दिलचस्पी दिखाई है। क्योंकि पिछले सीजन में सरसों का अच्छा रेट मिला था। इसलिए इस वर्ष भी अधिकांश किसान सरसों की खेती में ही अपना भाग्य आजमा रहे हैं। गेहूं की बुवाई अधिकतर वही किसान कर रहे हैं। जो पिछले सत्र में धान की खेती कर पाए थे। क्योंकि सांचेत के आसपास के क्षेत्रों में सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिलने के कारण धान की तो अच्छी खेती हो गई थी। लेकिन दूरस्थ क्षेत्रों में जहां सिंचाई के लिए पानी का अभाव था, और पर्याप्त वर्षा भी नहीं हुई थी। वहां धान की खेती करने से वंचित रह गए किसान देवकिशन शर्मा ने बताया कि इस बार क्षेत्र में 90 फ़ीसदी से भी कम धान की फसल हुई है। इसलिए खाली पड़े खेतों में किसानों ने बढ़ियां वैरायटी के सरसों की फसल लगा दी है। क्योंकि किसानों का कहना है कि धान की खेती न कर पाने से उन्हें जो नुकसान हुआ था। सरसों की खेती करके वे उसकी थोड़ी बहुत भरपाई कर सकते हैं। इसके अलावा दलहन की फसल जैसे चना, मसूर आदि की खेती में भी किसानों की दिलचस्पी ज्यादा दिखाई पड़ रही है। क्योंकि कुछ किसानों का कहना है कि धान की रोपाई के समय सिंचाई की जो समस्या पहले थी। वह अभी भी बरकरार है। इसलिए गेहूं की फसल की सिंचाई भी नहीं हो पाएगी। इसलिए सरसों आदि की खेती करना ही उनकी मजबूरी बन गई है।

न्यूज़ सोर्स : सतीश मैथिल सांचेत रायसेन।