सतीश मैथिल सांचेत रायसेन। (IND28.COM हर खबर पर पैनी नज़र)

गुरुवार को मरघटिया महावीर मंदिर पर शनि जयंती और वट सावित्री व्रत के उपलक्ष में भव्य विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। शनि जयंती के लिए मंदिर को सजा गया षट दर्शन साधू समाज के अध्यक्ष बाबा महंत कन्हैया दास महाराज ने बताया सनातन धर्म में वट सावित्री व्रत का बड़ा महत्व है। महिलाएं वट वृक्ष की पूजा-अर्चना कर जल अर्पित करती हैं। इसी दिन शनि जयंती भी है।वट वृक्ष के मूल में भगवान ब्रह्मा, मध्य में जनार्दन विष्णु और अग्र भाग में देवाधिदेव भगवान शिव स्थित रहते हैं। सुहागिनों द्वारा वट वृक्ष की परिक्रमा करते समय कच्चा धागा लपेटा जाता है।हर वर्ष की तरह इस साल भी मरघटिया महावीर मंदिर मे स्तिथ शनि मंदिर है और शनि भगवान न्याय के देवता की जयंती उत्साह के साथ मनाई जा रही है। मरघटिया महावीर मंदिर समेत अंचल में वट सावित्री व्रत और शनि जयंती छह जून को मनाया जा रही हैं। इस पर्व को मनाने व्रती महिलाएं जुट गई हैं। बाजार में पूजन सामग्री की खरीदारी जोरों पर है। मंदिरों को भव्य रूप से सजाया जा रहा है। वहीं सुहागिन इस दिन वट की पूजा कर परिक्रमा करती है। सुहागिन महिलाएं इस व्रत को पूरे विधि-विधान से करती हैं, उन्हें अखंड सौभाग्यवती होने का का वरदान प्राप्त होता है। यह व्रत महिलाएं अपनी पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं। इसके अलावा, कुछ जगहों पर कुंवारी कन्याएं भी मनचाहा वर पाने के लिए इस व्रत का पालन करती हैं।

सनातन धर्म में वट सावित्री व्रत का बड़ा महत्व है--- इस दिन वट वृक्ष की पूजा-अर्चना कर जल अर्पित करती हैं। इसी दिन शनि जयंती भी है। कुछ लोग शनिदेव की आराधना भी करते हैं। साढ़े साती या शनि का दहिया चल रहा है वह शनि स्त्रोत का पाठ कर रहे है। मरघटिया महावीर शनि मंदिर, शनि धाम सहित अन्य सभी शनि मंदिरों में इस दिन भक्तों का तांता लगा रहा।

शनि चालीसा का पाठ किया---शनि मंदिर जाकर काले माह साबुत, तेल, काला कपड़ा, काला फल, सूखा नारियल शनि महाराज को अर्पित और शनि के बीच मंत्र का जाप करते नजर आएं।सुहागिनों द्वारा वट वृक्ष की परिक्रमा करते समय कच्चा धागा लपेटा गया इस व्रत को करने से रोगों से छुटकारा मिलता है और पारिवारिक सुख की प्राप्ति होती है। इससे परिवार निरोगी रहता है। बता दें कि वट देव वृक्ष है।वट वृक्ष के मूल में भगवान ब्रह्मा, मध्य में जनार्दन विष्णु और अग्र भाग में देवाधिदेव भगवान शिव स्थित रहते हैं। देवी सावित्री भी बट वृक्ष में प्रतिष्ठित रहती हैं। इसी वट वृक्ष के नीचे सावित्री ने अपने पतिव्रत से मूत्य पति को जीवित किया था। तब से यह व्रत वट सावित्री के नाम से जाना जाता है। कुछ महिलाएं अमावस्या को ही व्रत रखती हैं। इस व्रत में करती हैं। पूजा करते समय स्त्रियां वट वृक्ष को जल से सींचती हैं।सावित्री सत्यवान की कथा सुनते हैं। मरघटिया महावीर मंदिर में हर वर्ष की तरह इस साल भी शनि मंदिर में न्याय के देवता की जयंती उत्साह के साथ मनाई गई गुरुवार की सुबह पांच बजे से देर रात्रि तक पूजा पाठ वा भोग भंडारा का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर धर्म अधिकारी पंडित गंगा प्रसाद शास्त्री, पंडित अरुण शास्त्री, सुदामा शर्मा, नवल किशोर मिश्रा, पंडित आकाश शर्मा, पंडित पवन शर्मा, पंडित चंद्र प्रकाश चौबे देवदास महाराज पंडित सर्वेश शुक्ला मौजूद रहे।

 

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