सतीश मैथिल सांचेत रायसेन। (IND28 हर खबर पर पैनी नज़र)

हरतालिका तीज पर निर्जला व्रत कर महिलाओं ने की पति की दीर्घायु की कामना भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया पर शुक्रवार को हरतालिका तीज के अवसर पर सुहागिनों ने अखंड सौभाग्य और सर्वमंगल की कामना से निर्जला व्रत रखा। कठिन व्रत के बावजूद सुहागिनों के चेहरे उत्साह और उल्लास से दमकते रहे रात को महिलाओं ने पूरे विधि-विधान से भगवान शिव, मां गौरी, गणेश व कार्तिकेय का पूजन किया।पूजन पंडित अरुण शास्त्री द्वारा कराई गई सांचेत के शिव मंदिरों में भी पूजन के लिए महिलाओं की भीड़ लगी रही।

मान्यता है कि भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए माता पार्वती ने ही सबसे पहले यह व्रत किया था। उनके तप से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। तभी से इस व्रत की परंपरा चली आ रही है।

सौभाग्य की कामना और पति की दीर्घायु के लिए महिलाएं इस व्रत को रखती हैं। महिलाएं निर्जला व्रत करती हैं। मिट्टी या रेत से भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति बनाकर पूजा करती हैं। महिलाओं ने बुधवार को ही तीज को लेकर पूजन व श्रृंगार आदि की सामाग्री की खरीदारी कर ली थी। शुक्रवार को तीज को लेकर महिलाएं उत्साहित थीं। सुबह से ही महिलाएं सजने संवरने में जुट गईं।

हाथों में रंगबिरंगी चूड़ियां, माथे पर बिंदिया लगाकर सोलह श्रृंगार किया। रात को व्रती महिलाओं ने केले के पत्ते से मंडप बनाया और उसमें शिव पार्वती की कच्ची मिट्टी से बनी मूर्ती को स्थापित कर उनका श्रृंगार किया। दूध, दही, घी, मधु, शर्करा और सफेद मिष्ठान का भोग लगाया।सांचेत के सभी मोहल्ले में जैसे महाजन लाइन वाजर मोहल्ला रीठा मोहल्ला कड़सरिया मौहल्ला सहित सभी मोहल्लों में तीज पर्व का उल्लास दिखा। रातभर शिवजी की महिमा की कहानियां व भक्तिमय गीत का सामूहिक गायन किया। नवविवाहिताओं और बेटियों ने झूमकर नृत्य भी किया। सुहागिनों की तरह ही बेटियों ने भी अच्छे पति की कामना से तीज का व्रत रखा। व्रती महिलाओं ने पूजा के बाद पति और बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लिया। पंडित अरुण शास्त्री ने बताया कि हरतालिका तीज का बड़ा महात्म्य है। महिलाओं की इसमें बड़ी आस्था है

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