हलाली डेम पर यात्रियों की जान से खिलवाड़,बिना सुरक्षा के पथरीले मार्ग पर चल रही हैं बसें
-बिना रैलिंग वाले पथरीले रास्ते की 100 फिट ऊंची पहाड़ी से रोज़ सैंकड़ों यात्रियों को लेकर जाती हैं बसें
-ज़िम्मेदार बेखबर, यात्रियों की जान जोखिम में, कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा
-स्थानीय रहवासियों ने शासन प्रशासन से रास्ते को पक्का करने सहित रैलिंग लगाने की मांग की
अदनान खान सलामतपुर रायसेन। (एडिटर इन चीफ IND28 हर खबर पर पैनी नज़र)।
रायसेन जिले के हलाली डैम क्षेत्र में यात्रियों की जान खतरे में डालते हुए बसें बिना सुरक्षा के खतरनाक मार्ग से गुजर रही हैं। पिछले साल हलाली डैम पर पानी निकासी के लिए पांच नए गेटों का निर्माण 24.95 करोड़ से किया गया था। और पुराने मार्ग को बंद कर दिया गया है। अब वाहनों का आवागमन एक अस्थायी, पत्थरीले रास्ते से हो रहा है, जो दोनों ओर 100-100 फिट ऊंची गहरी खाई से घिरा है और किसी प्रकार की सुरक्षा व्यवस्था के इंतेज़ाम यहां पर नहीं है। यह मार्ग बेहद तंग और खतरनाक है, जिस पर सुरक्षा के लिए न तो कोई रैलिंग है और ना ही बाउंड्री है और न ही अन्य कोई इंतजाम किए गए हैं। रोजाना सैकड़ों यात्री इसी मार्ग से बसों में सफर करते हैं। विशेष रूप से बेरसिया से रायसेन और अन्य स्थानों के बीच चलने वाली बसें इस खतरनाक रास्ते से होकर गुजरती हैं। मार्ग की स्थिति इतनी गंभीर है कि कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। यात्रियों को लेकर जाने वाली इन बसों के ड्राइवर भी इस मार्ग पर बेहद सावधानी से बसें चलाते हैं, लेकिन पर्याप्त सुरक्षा न होने के कारण दुर्घटना का खतरा लगातार बना रहता है। स्थानीय रहवासी और यात्रियों ने कई बार प्रशासन से इस मार्ग पर सुरक्षा इंतजाम करने और जल्द से जल्द बाउंड्री निर्माण की मांग की है। बावजूद इसके, प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। अगर समय रहते इस मार्ग की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की गई तो किसी बड़ी दुर्घटना की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। यात्रियों की जान-माल की सुरक्षा के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है।
24.59 करोड़ रुपए की लागत से 5 गेटों का हुआ है निर्माण ---ओवर फ्लो वाले स्थान पर पहले 9 मीटर ऊंचाई और 5 मीटर चौड़ाई के पिलरों के बीच में पांच गेट भी लगा दिए गए हैं। डेम का जल स्तर बढ़ने से इन गेटों से 1750 क्यूसेक पानी छोड़ा जा सकेगा। इससे होगा यह कि 28 गांवों के लगभग 2100 किसानों की 2400 हेक्टेयर जमीन में बोई गई खरीफ की फसल को डूबने से बचाया जा सकेगा।इतना ही नहीं फसल के अलावा नीनोद और कायमपुर गांव के रास्ते डूब में आ जाने से गांव टापू बन जाया करते थे। अब इन गांवों के रास्ते भी डूब में नहीं आएंगे। इससे बारिश के दिनों में यहां से आवागमन चालू रहने लगेगा। बारिश के दिनों में भी इलाज सहित आवश्यक सेवाएं दोनों गांव के रहवासियों को उपलब्ध हो सकेंगी।
1750 क्यूसेक पानी की निकासी होती है---डेम पर गेट लगाने का काम मई 2022 में शुरू किया गया है। इसका पूरा काम अक्टूबर 2023 तक पूरा किया जाना है। हालांकि इस बारिश में ही किसानों की खरीफ की फसल डूब में न आने पाए इसलिए जुलाई 2024 तक ही पांचों गेट लगा लेने का दावा परियोजना के सब इंजीनियर बीके बागुलिया द्वारा किया गया था। जिसे समय से ही पूरा कर लिया गया है। गेट लग जाने के बाद जल स्तर बढ़ने पर 1750 क्यूसेक पानी की निकासी की जा सकेगी। एक क्यूसेक एक घन फुट जल प्रवाह प्रति सेकेंड के बराबर है। लगभग एक क्यूसेक जल 28.317 लीटर प्रति सेकेंड के बराबर होता है।
ग्रामीणों के आवागमन के लिए डाउन स्ट्रीम में बना 57.50 मीटर लंबा ब्रिज लेकिन रास्ता छोड़ा अधूरा---गेट के आगे डाउन स्ट्रीम में एक 57.50 मीटर लंबा ब्रिज भी बनाया गया है। इससे 15-20 गांवों के लोगों को बाढ़ के दौरान हर साल रास्ता बंद होने की समस्या से भी निजात तो मिलेगी लेकिन ब्रिज से पहले का रास्ता बहुत ही खतरनाक है। पथरीले रास्ते से होकर स्थानीय लोगों को निकलना पड़ रहा है। बांध के डाउन स्ट्रीम में ब्रिज बनने से अब गांवों के रास्ते तो डूब में नहीं आएंगे। लेकिन ग्रामीणों को इसी पथरीले रास्ते से आवागमन करना होगा, जबकि बांध पर निर्मित गेटेड स्लिप के ब्रिज का इस्तेमाल केवल सिंचाई विभाग का अमला ही कर सकेगा। यह अमला इस ब्रिज का उपयोग बांध के गेटों का नियंत्रण के कार्य के लिए करेगा।
इनका कहना है।
ग्रामीणों के आवागमन के लिए डाउन स्ट्रीम में 57.50 मीटर लंबा ब्रिज तो बना दिया गया है लेकिन ब्रिज तक पहुंच मार्ग को छोड़ा अधूरा ही छोड़ दिया है। यहां से बसें यात्रियों की जान जोखिम में डालकर बिना कोई सुरक्षा इंतेज़ाम के निकलती हैं। इस मार्ग को शीघ्र ही पक्का कर बाउंड्री की जाए।
रघुवीर सिंह मीणा, सरपंच ग्रा. पं. रातातलाई।
ओवरफ्लो वाली जगह पर पानी रोकने के लिए 5 गेट तो लगा दिए गए हैं। लेकिन यात्रियों की जान खतरे में डालते हुए बसें बिना सुरक्षा के खतरनाक मार्ग से गुजर रही हैं। रास्ते के दोनों और बिना बाउंड्री के 100-100 फिट गहरी खाई हैं। जहां पर कभी भी बड़ा हादसा होने की संभावना है।
हिम्मत सिंह, यात्री।
लगभग 25 करोड़ की लागत से 5 गेटों का निर्माण हलाली बांध पर किया गया है। लेकिन आवागमन का रास्ता पथरीला और कच्चा ही छोड़ दिया गया है। इसी खतरनाक रास्ते से प्रतिदिन सैंकड़ों यात्री बैरसिया की और बसों व अन्य साधनों से जाते हैं। शासन प्रशासन से कई बार मामले की शिकायत की गई है। परंतु अभी तक कोई सुनवाई नही हुई है।
कल्याण अहिरवार, स्थानीय रहवासी।