अमेरिकी प्रोफेसरों का दल पहुंचा सांची यूनिवर्सिटी

-अमेरिकी प्रोफेसरों ने साँची में देखा भारतीय सांस्कृतिक वैभव
-अमेरिका से साँची यूनिवर्सिटी पहुंचा छात्रों शिक्षाको का दल
-भारतीय संस्कृति और पारम्परिक इतिहास का किया अध्ययन
अदनान खान सलामतपुर रायसेन। (एडिटर इन चीफ IND28 हर खबर पर पैनी नज़र)
अमेरिका के विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्र भारत की सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक विविधता देखने समझने निकले अमेरिकी प्रोफेसरों के दल ने आज साँची विश्वविद्यालय का दौरा किया। फुलब्राइट हेस ग्रुप, न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय और अमेरिका के युवा हिन्दी संस्थान की अगुवाई में विभिन्न अमेरिकी विश्वविद्यालयों के 20 शिक्षकों और छात्रों का दल अंजता, साँची, भीमबेटका, खजुराहो, वाराणसी, सारनाथ और दिल्ली की साँस्क़ृतिक विरासत को देखने समझने के क्रम में आज साँची में था। यह दल मध्यप्रदेश के विभिन्न ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण कर रहा है ताकि भारत की संस्कृति, लोक कलाओं, पौराणिक मान्यताओं, जातक कथाओं के माध्यम से गहन अध्ययन कर सके। न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय की प्रोफेसर गैब्रिएला निकोलेवा ने बताया कि वो भारतीय विविधताओं, परंपराओं, लोक परम्पराओं, संगीत, ऐतिहासिक इमारतों के अध्ययन से सीख रहे है ताकि इस ज्ञान को अमेरिका के विभिन्न पाठ्यक्रमों में सम्मिलित किया जा सके। दल के मुखिया और युवा हिंदी संस्थान के अध्यक्ष डॉक्टर अशोक ओझा ने संबंधों में प्रगाढ़ता पर जोर देते हुए कहा कि भारतीय इतिहास और संस्कृति हमेशा नई चीजें सिखाती है। यहां की सीख अमेरिका जाकर छात्रों के लिए बेहतर पाठ्यक्रम निर्माण में काम आएगी।अमेरिकी प्रोफेसरों के दल में रूटजर्स विश्वविद्यालय की कला इतिहासविद डॉक्टर पृथा मुख़र्जी, सेन फ्रैंसिस्को विश्वविद्यालय के छात्र डेनियल मेंगो, मिडिलसेक्स कॉलेज न्यू जर्सी की शिक्षक सविता बाला, बायोसे स्टेट यूनिवर्सिटी इडियाहो की शिक्षक इर्याना बाबिक, नार्थ कैरोलीना यूनिवर्सिटी की निलाक्षी फुकन, ड्यूक यूनिवर्सिटी की कुसुम नापज़्येक, न्यू यॉर्क की सिरैक्यूज़ यूनिवर्सिटी की भानुश्री सिसोदिया के साथ ही दल में विभिन्न् कम्युनिटी इंस्ट्रक्टर और छात्र भी सम्मिलित हैं।साँची विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. वैद्यनाथ लाभ ने सभी का स्वागत किया। उन्होंने सभी का परिचय बौद्ध और भारतीय परंपराओं से कराते हुए बौद्ध धर्म, भगवान बुद्ध और बौद्ध धर्म के वैश्विक प्रचार-प्रसार में सम्राट अशोक के योगदान पर गहन प्रकाश डाला। उन्होने दल से उदयगिरी, भीमबेटका और सतधारा स्तूप जाकर भी अध्ययन करने का आग्रह किया।प्रोफेसर लाभ ने भगवान बुद्ध के परिनिर्वाण के बाद बौद्ध धर्म के विकास और बुद्ध के वचनों को श्रवण परम्परा से लिपिबद्ध और शुद्धि हेतु हुई विभिन्न बौद्ध संगीतियों की भी जानकारी दल को दी। उन्होने जातक कथाओं और उनके प्रभाव पर गहराई से विवेचना की।कुलसचिव प्रो नवीन मेहता ने भी भारतीय इतिहास, परंपराओं और संस्कृति के बारे में दल से बातचीत की। उन्होने विभिन्न परम्पराओं और आधुनिक वक्त में उपयोगिता पर भी जानकारी साझा की।अमेरिका का फुलब्राइट-हेस ग्रुप प्रोजेक्ट्स एब्रॉड (जीपीए) शिक्षकों और छात्रों को आधुनिक विदेशी भाषाओं और क्षेत्रीय अध्ययन में प्रशिक्षण, अनुसंधान और पाठ्यक्रम विकास हेतु विदेशों में कार्यक्रम अनुदान देता है।