सतीश मैथिल सांचेत रायसेन। IND28.COM

नर्मदा जयंती के उपलक्ष्य में सांचेत कस्बे से बगलबड़ा नर्मदा घाट पर पहुचकर दीपदान किया गया।पंडित अरुण शास्त्री ने नर्मदा जयंती की विशेषता बताते हुए बताया कि इस दिन हुआ था मां नर्मदा का अवतरण, जानें महत्व, और पूजा विधी आज नर्मदा जयंती है। आज के दिन मां नर्मदा की विधि-विधान से पूजा की जाती है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार नर्मदा जयंती माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है। नर्मदा नदी मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा विस्तार से बहती है, अमरकंटक में नर्मदा जयंती को पर्व की तरह मनाया जाता है। मान्यता अनुसार जितना पुण्य पूर्णिमा तिथि को गंगा या अन्य पवित्र नदियों में स्नान से प्राप्त होता है। नर्मदा जयंती के पावन दिन नर्मदा में स्नान करने पर भी उसी के समान पुण्य की प्राप्ति होती है। मां गंगा की तरह मां नर्मदा भी मोक्षदायिनी माना गया है।

नर्मदा जयंती का महत्व, मुहूर्त और पूजा विधि

नर्मदा जयंती का महत्व---

हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार माघ मास में शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मां नर्मदा नदी का अवतरण हुआ था। नर्मदा जयंती मां नर्मदा के पृथ्वी पर अवतरण दिवस के रूप में मनाई जाती है। इस दिन नर्मदा नदी में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और व्यक्ति के पापों का नाश हो जाता है। मां नर्मदा की कृपा से दीर्घायु प्राप्त होती है। इस दिन नर्मदा में स्नान के साथ ही दान का भी बहुत महत्व माना जाता है।

नर्मदा जयंती पूजन विधि---

नर्मदा जयंती के अवसर पर सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के मध्य नर्मदा किसी भी समय स्नान करना शुभ रहता है।नर्मदा जयंती के पावन अवसर पर प्रातः जल्दी उठकर नर्मदा में स्नान करने के बाद सुबह फूल, धूप, अक्षत, कुमकुम, आदि से नर्मदा मां के तट पर पूजन करना चाहिए।

इसके साथ ही इस पावन पर्व पर नर्मदा नदी में 11 आटे के दीप जलाकर दीपदान करना शुभ रहता है।इससे आपकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।यदि आप नर्मदा नदी पर जाकर स्नान और पूजन नहीं कर सकते हैं तो मां नर्मदा की तस्वीर को चौकी पर स्थापित करके धूप-दीप अक्षत कुमकुम आदि से मां नर्मदा की पूजा करनी चाहिए।

 

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