-आज ईदगाह में सुबह 7 बजे होगी ईद की विशेष नमाज़ 

10 जिल हिज्जा से 12 जिल हिज्जा तक मनाई जाती है ईद-उल-अज़हा

अदनान खान सलामतपुर रायसेन। (एडिटर इन चीफ IND28 हर खबर पर पैनी नज़र)

आज सोमवार को ईद उल अज़हा का पर्व बहुत ही सादगी के साथ सलामतपुर व आसपास क्षेत्रों में मनाया जाएगा। जामा मस्जिद सलामतपुर के पेशे ईमाम मोहम्मद नसीम अहमद ने बताया कि सोमवार को सुबह 7 बजे ईदगाह में लोगों को ईद उल अज़हा की विशेष नमाज़ पढ़ाई जाएगी। उन्होंने बताया कि अल्लाह ने फरमाया तुम जमीन वालों पर रहम करो आसमान वाला तुम पर रहम करेगा। अल्लाह ताला को वही तरीका सबसे प्रिय है जो उसने स्वयं बताया और अपने प्यारे नबी मोहम्मद सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम के माध्यम से लोगों तक पहुंचाया। इसके अलावा कोई भी बड़े से बड़ा महापुरुष हो या कोई अन्य उसकी बात पसंद नहीं। इस्लाम धर्म जीवन जीने की एक पद्धति है जिसमें व्यक्ति एक निश्चित तौर तरीके अपनाकर अपना जीवन व्यतीत करता है। जिसमें कोई भी व्यक्ति अपनी मर्जी के मुताबिक फेरबदल नहीं कर सकता। इसलिए हजारों वर्षों से इस की हर बात ज्यों की त्यों चली आ रही है। सारे संसार में इसके मानने वाले एक ही पद्यति रिवाज और परंपराओं का पालन करते हैं।

हज़रत इब्राहिम ने नमरूद को खुदा मानने से किया था इंकार------कुरान पाक जिसको खुदा की दी हुई किताब या आसमानी किताब माना जाता है। हजरत इब्राहिम का जन्म ईसा से कोई 2000 वर्ष पूर्व इराक के ऊर नामक शहर में हुआ था। ऊर अब अबीब के नाम से जाना जाता है। उस वक्त इनकी परवरिश इनके चाचा द्वारा की गई। इस दौरान ईरान में नमरूद की बादशाहत थी। नमरुद स्वयं को खुदा मानता था। हजरत इब्राहिम ने नमरूद के बुतों को तोड़कर उसे खुदा मानने से इनकार किया। बादशाह नमरूद ने हजरत इब्राहिम को अपने सामने पेश करवाया। हजरत इब्राहिम द्वारा नमरूद को खुदा मानने से इंकार करने पर नमरूद ने उन्हें जलती हुई आग में फिकवा दिया। खुदा के करम से आग उन्हें जला न सकी।खुदाई के रास्ते में जब-जब भी उसके इबादत करने वाले बड़े हैं। खुदा ने उन्हें कदम कदम पर परखा है। हजरत इब्राहिम साहब को खुदा ने ख्वाब में आदेश दिया कि अपनी सबसे प्यारी चीज मुझ पर कुर्बान करो। हजरत अपने पुत्र इस्माइल से बहुत प्यार करते थे। उन्होंने अपने बेटे से कहा कि मैंने ख्वाब में देखा है कि मैं तुम्हें खुदा की राह में कुर्बान कर रहा हूं। इस्माइल का जवाब था कि आप अल्लाह के हुक्म का पालन करें अल्लाह ने चाहा तो आप मुझे फरमाबरदार पाएंगे। हजरत इब्राहिम ने अपनी आंखों पर पट्टी बांधकर अपने पुत्र के गले पर छुरी चलाई। लेकिन अल्लाह की मेहरबानी से छुरी की धार के नीचे जन्नत से भेजा एक दुम्बा आ गया। जो इस्माइल की जगह पर कुर्बान हुआ। जब हजरत इब्राहिम ने आंखों से पट्टी हटाई तो देखा भी इस्माइल खड़े मुस्कुरा रहे हैं। उनकी जगह पर एक दुम्बा ज़िबह किया हुआ पड़ा है। फरिश्ते जिब्राईल ने उन्हें बताया कि उनकी कुर्बानी कुबूल कर ली गई है।

10 जिल हिज्जा से 12 जिल हिज्जा तक मनाई जाती है ईद उल अज़हा-----ईद-उल-अज़हा 10 जिल हिज्जा से 12 जिल हिज्जा तक मनाई जाती है। यही वह कुर्बानी है जो ऐसी मकबूल हुई के पूरे विश्व में यह त्यौहार बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। इसी को किसी शायर ने क्या खूब कहा है- "कयामत तक रहेगी याद इस्माइल की कायम, कभी बेकार एहले हक की कुर्बानी नहीं जाती" अल्लाह ने इंसान की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए उसकी रोजी रोटी का सामान बनाया। इस्लाम एक दयालु धर्म है। जिसमें किसी जानवर के ऊपर निशानेबाजी करने को मना फ़रमाया। तकलीफ या नुकसान पहुंचाने वाले जानवरों को भी दर्दनाक तकलीफ देकर मारने को प्रतिबंधित किया है।

न्यूज़ सोर्स : अदनान खान एडिटर इन चीफ IND28