सांची की फिज़ाओं में घुली ईद-उल-अजहा की खुशबू, सौहार्द व समर्पण की मिसाल बना पर्व

-विशेष नमाज़, कुर्बानी, दुआओं और भाईचारे के भाव से महका नगर
वसीम कुरैशी सांची रायसेन। (IND28 हर खबर पर पैनी नज़र)
धार्मिक आस्था, आत्मिक समर्पण और सामाजिक सौहार्द का प्रतीक पर्व ईद-उल-अजहा (बकरीद) सांची नगर में इस वर्ष भी अपार श्रद्धा, उल्लास और परंपरागत भव्यता के साथ मनाया गया। शनिवार की सुबह जैसे ही सूरज की पहली किरणें नगर की मस्जिद की मीनारों पर पड़ीं, वैसे ही ईमान की रौशनी में रंगे मुस्लिम समाजजन अपने नए-नए परिधानों में मस्जिद की ओर चल पड़े।सुबह साढ़े सात बजे, मस्जिद परिसर में हाफ़िज़ मकसूद अली ने पर्व की विशेष नमाज़ अदा कराई। नमाज़ के दौरान हज़ारों हाथ आसमान की ओर उठे, और दिलों में बसी दुआओं ने रूह को छू लेने वाली भावनाओं को अभिव्यक्त किया। सभी ने मिलकर अमन-चैन, समाज की तरक्की, जन-जन की खुशहाली और अच्छी बारिश के लिए दुआ माँगी। यह दृश्य अध्यात्म और मानवता के अद्भुत संगम का प्रतीक बना।नमाज़ के उपरांत पर्व की परंपरा अनुसार कुर्बानी का सिलसिला आरंभ हुआ। घर-घर समाजजनों ने श्रद्धा और समर्पण भाव से बकरों की कुर्बानी दी, जो इस पर्व के आध्यात्मिक संदेश 'त्याग, प्रेम और विश्वास' को चरितार्थ करता है। कुर्बानी के बाद आपसी मिलन और प्रेम का दृश्य देखने योग्य था — समाज के जनों ने गले मिलकर एक-दूसरे को ईद की मुबारकबाद दी, और मिठास व मुस्कानें बिखेरते हुए पर्व को एकजुटता का उत्सव बना दिया।इस अवसर पर प्रशासन भी सजग और सहभागी रूप में उपस्थित रहा। अतिरिक्त तहसीलदार नियति साहू, थाना प्रभारी नितिन अहिरवार अपने पूरे स्टाफ सहित मौके पर मौजूद रहे। साथ ही नगर परिषद के कर्मचारी भी आयोजन की साफ-सफाई और व्यवस्था सुनिश्चित करने में सक्रिय रहे।पर्व के दौरान संपूर्ण नगर में एक विशेष उत्सवी ऊर्जा व्याप्त रही। मस्जिद से लेकर मोहल्लों तक, रौनक और रूहानी अहसास की छटा फैली रही। छोटे बच्चे रंग-बिरंगे कपड़ों में खिलखिलाते दिखे तो बुजुर्गों के चेहरे पर संतोष और स्नेह की छाया झलकती रही।ईद-उल-अजहा, जो कि पैगंबर हज़रत इब्राहीम अलीहिस्सलाम की कुर्बानी की याद में मनाया जाता है, सांची में इस बार भी अपनी मूल आत्मा त्याग, समर्पण, करुणा और एकता के साथ मनाया गया। यह पर्व न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान रहा, बल्कि सामाजिक समरसता, धार्मिक सहिष्णुता और मानवता के मूल मूल्यों को जीवंत करता रहा।