-गिद्धों की ज्यादा संख्या की वजह से सांची जनपद के गांव का नाम पड़ा था गीदगढ़

-जिले में 17 फरवरी से 19 फरवरी तक चल रही है गिद्धों की गणना

-सुबह 7 बजे से 9 बजे तक के समय में हो रही है गणना

अदनान खान सलामतपुर रायसेन। (एडिटर इन चीफ IND28 हर खबर पर पैनी नज़र)

भारत के कई ऐसे शहर हैं जो अपने प्राचीन इतिहास और राजा महाराजाओं के नाम से जाने जाते हैं। रायसेन जिले के एक ऐसे गांव के बारे में बता रहे हैं, जो एक पक्षी के नाम से प्रसिद्ध है और जाना जाता है। जी हां हम बात कर रहे है सांची जनपद के गांव गीदगढ़ की। मध्यप्रदेश में गिद्धों की गणना के चरण का कार्य शुरू हो गया है। 17 से 19 फरवरी तक चलने वाली इस गणना में रायसेन वन मंडल के पूर्व, पश्चिम वन विभाग की अलग-अलग टीमों ने गिद्धों की गिनती की जा रही है। वहीं रायसेन जिले का एक ऐसा गांव है, जो गिद्धों के नाम से जाना जाता है। इस गांव का नाम है गीदगढ़। गांव का नाम गिद्धों के नाम पर पढ़ने के पीछे का कारण है कि यहां पर बरसों पहले बड़ी संख्या में गिद्धों का वास हुआ करता था। इस कारण इस गांव का नाम गीदगढ़ पड़ गया था। लेकिन धीरे-धीरे गिद्धों की तादाद कम हो गई।उनके कम होने की वजह मवेशियों को (डाइक्लोफेनिक) दर्द निवारक इंजेक्शन लगाना बताए जा रहा है, क्योंकि गिद्धों का भोजन मृत मवेशी होते हैं। यही कारण रहा है कि धीरे-धीरे इनकी तादाद कम होती चली गई, हालांकि विभाग ने बताया कि उस इंजेक्शन पर सर्वे के बाद रोक लगा दी गई थी। इसलिए ही अब इन गिद्धों की तादाद बड़ने लगी है। और इनकी संख्या लगभग 300 के आसपास बताई जा रही है

जिले में गिद्धों की तीन प्रजाति--गिद्धों के संरक्षण के लिए उनके नेटिंग साइट को पहचान कर उनका संरक्षण किया जाता है। गणना अनुसार गिद्धों की संख्या में बढ़ोतरी होने के संकेत मिले हैं। पिछले वर्ष की गिनती में 300 से ज्यादा गिद्ध मिले थे। रायसेन वन मंडल के डीएफओ विजय कुमार ने बताया कि वन मंडल रायसेन के अंतर्गत आने वाले पूर्व, पश्चिम, और सिलवानी वन परिक्षेत्र के कुछ क्षेत्रों में गिद्धों का प्राकृतिक आवास है। साल में दो बार फरवरी और अप्रेल में गिद्धों की गणना की जाती है। यहां पर गिद्ध की कुल तीन प्रजातियां पाई जाती हैं। गिद्धों की गणना के लिए 16 विशेष टीमें बनाई गई हैं। यह टीमें विभिन्न स्थानों पर गिद्ध गणना करेंगी। इनके अलावा गिद्ध गणना के लिए सभी को निर्देश दिए गए हैं।

इनका कहना है।

गांव में एक समय थे बड़ी संख्या में गिद्ध।

गीदगढ़ गांव का नाम गीदगढ़ इसलिए पड़ा क्योंकि यहां के पहाड़ और गांव में गिद्धराज बहुत ही ज्यादा संख्या में पाए जाते हैं। पहले यहां पर लगभग 1200 गिद्ध हुआ करते थे, लेकिन इनकी संख्या समय के साथ अब कम हो गई है। यहां पर कई प्रजाति के गिद्ध पाए जाते हैं।

प्रताप शर्मा, गीदगढ़

गिद्धों के नाम से पड़ा गांव का नाम।

हमारे बुजुर्ग बताते हैं कि गांव का नाम 1965 से ही गीदगढ़ इसलिए रखा गया है कि यहां पर गिद्ध बहुत ज्यादा संख्या में पाए जाते हैं। यह मरे हुए मवेशियों को खाकर अपना पेठ भरते हैं।

वृंदावन शर्मा, स्थानीय रहवासी गीदगढ़

न्यूज़ सोर्स : अदनान खान एडिटर इन चीफ IND28