-10 गांवों के हज़ारों ग्रामीण रोज़ जान जोखिम में डालकर कर रहे हैं रेलवे लाइन क्रॉस

-बड़ी अनहोनी के इंतजार में आँखे बंद कर बैठे हैं ज़िम्मेदार अधिकारी,शासन प्रशासन भी नही दे रहा ध्यान

अदनान खान सलामतपुर रायसेन। एडिटर इन चीफ IND28.COM

सरकार द्वारा स्कूल चले हम अभियान के लिए लाखों करोड़ों रुपए खर्च कर योजनाएं बनाई जा रही हैं। ताकि हर बच्चा शिक्षित हो सके और देश का भविष्य बन सके। मगर आज भी हमारे देश में कई ऐसे स्थान हैं। जहां स्कूल जाने के लिए स्कूली बच्चों को अपनी जान हथेली पर लेकर चलना पड़ता है। कुछ ऐसा ही मामला है रायसेन जिले के सांची विकासखंड के छपराई मार्ग का जहां जान जोखिम में डालकर रेलवे पटरी क्रॉस करके स्कूल जाने को मजबूर है नौनिहाल। वहीं किसान भी अपने खेतों पर जाने के लिए हर रोज एक नई जंग लड़ते हैं। ग्रामीण जान जोखिम में डालकर यहां से मोटरसाइकिल उठाकर निकालते हैं। कई बार हादसे होते होते बच चुके हैं। यहां पर कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। रेलवे विभाग द्वारा कई वर्षों पुराना रेलवे गेट बंद कर दिया गया है। वहीं अंडरब्रिज पुलिया में भी पानी भरा रहता है। ग्रामीण स्थानीय विधायक एवं प्रदेश सरकार में स्वास्थ्य मंत्री डॉ प्रभुराम चौधरी से लेकर आला अधिकारियों तक को कई बार ज्ञापन भी दे चुके हैं। लेकिन कोई सुनवाई नही हुई।

10 गांवों के हज़ारों ग्रामीण रोज़ डालते हैं जान जोखिम में-----सांची जनपद के छपराई गांव रेलवे की पुलिया में बरसात के समय पानी भरा होने के कारण लगभग 10 गांव पर स्कूली बच्चों सहित गांव के किसानों को जान जोखिम में डालकर ट्रेनों की पटरी से होकर गुजरने के लिए मजबूर होना पड़ता है। पुलिया में पानी भरा हुआ है। मरीजों को भी इसी मुसीबत से दो चार होना पड़ रहा है।मुसीबत झेल रहे लोगों का कहना है कि तीन साल से विधायक मंत्री और रेल अफसरों से मिल रहे हैं। लिखित शिकायत दे रहे हैं। कोई सुनवाई नहीं हो रही है। ग्रामीणों ने बताया कि पहले यहां पर रेलवे गेट हुआ करता था। वहां से आसानी से निकल जाते थे। और खेती किसानी करने वाले ट्रैक्टर इस पार से उस पार चले जाते थे। अब आलम यह है कि रेलवे ने बरसों पुराने गेट को बंद कर दिया है। जिससे खेती किसानी करने वाले किसानों सहित स्कूली बच्चे जान जोखिम में डालकर निकलने को मजबूर हैं। बारिश के समय पर खाद बीज ले जाने के लिए ट्रैक्टर पटरी के उस पार नहीं जा पाता है। जिससे मजदूरों द्वारा खाद बीज कंधे पर रखकर भेजा जाता है। जिससे खाद बीज से ज्यादा पैसा मजदूरों को देना पड़ता है। अंडर पुलिया में बरसात में 4 महीने तक पानी भरा रहता है।और इसके अलावा कोई वैकल्पिक रास्ता नहीं है। जिससे मजबूरी में रेलवे लाइन क्रास करके निकलना पड़ता है।

इनका कहना है।

हमको स्कूल जाने के लिए प्रतिदिन इन रेलवे लाइनों को पार करके जाना पड़ता है। बारिश के दिनों में पुलिया में भी पानी भर जाता है। इसके अलावा स्कूल जाने का कोई और रास्ता नही है। कई बार हम सभी छात्राएं ट्रेन की चपेट में आने से भी बच चुकी हैं।

दीपा, छात्रा

हम प्रतिदिन 7 किलोमीटर मीटर चलकर स्कूल जाते हैं। रास्ते में हमें रेलवे लाइन क्रास करके जाना पड़ता है। जिसमें बहुत खतरा रहता है। लेकिन हमें पड़ता है इसलिए हम रोज़ खतरा मोल लेते हैं।

प्रियंका, छात्रा

में 12 वी कक्षा में पड़ता हूं। में केमखेड़ी गांव से 7 किलोमीटर दूर स्कूल पड़ने जाता हूं। मुझे प्रतिदिन जान जोखिम में डालकर रेलवे लाइन पार करना पड़ती हैं। सरकार ने अंडरब्रिज बनाया था लेकिन उसमें भी पानी भरा रहता है।

सूरज, छात्र कक्षा 12वी

8 से 10 गांवों के हज़ारों ग्रामीणों को प्रतिदिन अपनी जान जोखिम में डालकर रेलवे लाइन क्रास करके दूसरी और जाना पड़ता है। और तो और हमें अपने वाहन भी रेलवे लाइनों के ऊपर से उठाकर ले जाना पड़ते हैं। अगर गॉव में कोई बीमार हो जाता है तो बड़ी समस्या उत्पन्न हो जाती है। शासन प्रशासन हमारी समस्या का कोई भी समाधान नही कर रहा है।

आकाश, स्थानीय ग्रामीण

न्यूज़ सोर्स : अदनान खान एडिटर इन चीफ IND28.COM