सतीश मैथिल सांचेत रायसेन। IND28.COM

भव्य कलश यात्रा के साथ नौ दिवसीय श्री राम कथा का सोमवार को शुभारंभ हुआ। सोमवार को ग्राम बहेडिया से स्वयं प्रकटेस्वर हनुमान मंदिर वामनोद तक 5 किलोमीटर तक पैदल कलश यात्रा निकाली गई हनुमान मंदिर वामनोद मैं भव्य कलश यात्रा के साथ नौ दिवसीय श्री राम कथा का शुभारंभ हुआ। नौ दिनों तक चलने वाली श्री राम कथा में प्रमुख कथा वाचक गोवत्स पंडित अंकित कृष्ण महराज बटुक जी जो कि बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के बहुत बड़े भक्त है हाल ही में विदिशा में पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री कि कथा में पंडित अंकित कृष्ण महाराज बटुक जी महाराज ने भी कथा का वाचन किया था। इनकी कथा को लाखो लोगों ने विदिशा में सुना था।अब ग्राम वामनोद में पंडित जी श्रद्धालुओं को राम कथा रस पान करायेंगे। सोमवार को कथा प्रारंभ करने के पुर्व भव्य कलश यात्रा निकाली गई जो कि राम जानकी मन्दिर बहेडिया से होते हुए कथा स्थान हनुमान मंदिर पहुंची। कलश यात्रा में जय श्री राम उद्घोष व डीजे की धुन पर नाचते गाते श्रद्धालुओं की भारी भीड़ ने ग्रामीण माहौल को राम मय बना दिया।कथा के प्रथम दिन कथा शुरू करते हुए गौवत्स पंडित अंकित कृष्ण महाराज बटुक जी ने राम कथा के महात्म्य की बात बताई। उन्होंने कहा कि इस समय दुनिया में सबसे ज्यादा जिस ग्रंथ की चर्चा है वह श्रीरामचरितमानस है। आज देश विदेश में जिस ग्रंथ की सबसे ज्यादा चर्चा है वह श्रीरामचरितमानस है।आगे उन्होंने कहा कि जगत की यात्रा आपको थकाती है और राम कथा की यात्रा हर थकान दूर करती है। कोई कथा या कहानी, सिनेमा, साहित्य आदमी दो चार बार पढ़ता या देखता है किंतु राम कथा बार बार क्यों सुनता है इसके उत्तर में बताया कि यह कथा या कहानी नहीं बल्कि अमृत की कथा है। इस कथा अमृत की दो चार बूंदे हमारे जीवन में पड़ जांय इसलिए लोग इसे बार बार सुनते हैं।श्रीरामचरितमानस के संबंध में चल रहे विवाद पर कटाक्ष करते हुए कहा कि अज्ञानी लोग हैं उन्हें ज्ञान नहीं है। राम कथा शंकर जी ने सर्वप्रथम मां पार्वती को सबसे पहले सुनाया था। उन्होंने कहा कि राम कथा एक सरोवर है जिसके भक्ति, ज्ञान, कर्म व शरणागति चार घाट हैं। शंकर जी, याज्ञवल्क्य,कागभुशुण्डि व तुलसीदास जी चारों घाटों पर वक्ता है। इस सम्बंध में एक भजन शंकर ने खुद लिखी है, श्रीराम की कहानी।हैं चार घाट इसके वक्ता हैं चार ज्ञानी।। से श्रोताओं को इसे समझाया। मानस पर टिप्पणी करने वाले पागल लोग हैं जिनकी बुद्धि खराब है उन्हें कोई ज्ञान नहीं है और राम से विमुख लोगों का अस्तित्व जल्दी ही समाप्त हो जायेगा। जिंदगी भर कुसंग में रहने वाले मानस पर टिप्पणी कर रहे हैं। राम कथा पर शोध या टिप्पणी सत्संग में बैठने वाले ही कर सकते हैं।

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