सांची रायसेन से अदनान खान की रिपोर्ट। IND28.COM 

-सांची विश्वविद्यालय में 74वें गणतंत्र दिवस पर ध्वजारोहण

-देश के नागरिक अब भारत बनाना चाहते हैं

-भारत अपने मूल विचारों की ओर जा रहा है

-भारत का गणतंत्र और संविधान सबसे प्राचीन है

-संविधान का भारतीयकरण होना चाहिए

 सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में 74वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर ध्वजरोहण किया गया। कुलपति डॉ. नीरजा गुप्ता  व कुलसचिव प्रो. अल्केश चतुर्वेदी द्वारा ध्वज फरहाए जाने के उपरांत विश्वविद्यालय के ऑडिटोरियम में कई सांस्कृतिक प्रस्तुतियां की गईं।देश के कुछ विश्वविद्यालयों में BBC द्वारा बनाई गई डॉक्यूमेंट्री के प्रदर्शनों पर कुलपति महोदया ने कहा कि भारत को विश्व में बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है। झूठे नैरेटिव्स (आख्यान) बनाए जा रहे हैं। कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में जो घटनाएं हो रही हैं उनके ज़रिए भारत और उसकी लोकतांत्रिक छवि को धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है। डॉ. गुप्ता ने कहा कि 1947 में आज़ादी के बाद ऐसा इंडिया बना दिया गया जिस पर आज हमारा सिर गर्व से उठने के बजाए शर्म से झुक जाता है। उन्होंने कहा कि आज भारत उस मोड़ पर है जब हम इसे इंडिया बना लें या फिर भारत बना दें। देश का प्रत्येक नागरिक इस समय प्रयास कर रहा है कि अब देश को भारत बना सके। हम अपने मूल विचारों की ओर जा रहे हैं।

इस अवसर पर डॉ. नीरजा गुप्ता ने कहा कि सांची विश्वविद्यालय न सिर्फ प्रादेशिक व राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुका है। उन्होंने कहा कि देश में होने वाले जी-20 के 100 आयोजनों में से एक को आयोजित करने का अवसर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सांची विश्वविद्यालय को प्रदान किया गया। 07 जनवरी को इंदौर में अप्रवासी भारतीयों का एक सम्मेलन सांची विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित किया गया था।

वेदों का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वेदों में सभा और समिति के साथ-साथ सभावति यानी सिर्फ महिलाओं के लिए एक विशिष्ट सभा का वर्णन मिलता है।

कुलपति ने घोषणा की, कि विश्विवद्यालय द्वारा अंतरराष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन 3 से 5 मार्च के बीच आयोजित किया जाएगा। डॉ. गुप्ता ने कहा कि विश्वविद्यालय के सलामतपुर, सांची में नए बन रहे भवन में लैंडस्केपिंग सांस्कृतिक तरीके से कराई जाएगी ताकि जो भी सांची स्तूप और विश्वविद्यालय परिसर में लगाए गए बोधि वृक्ष को देखने आए वो भारतीय-बौद्ध दर्शन पर आधारित गार्डन को भी देखेगा।

सांची विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. अल्केश चतुर्वेदी ने कहा कि भारत में संविधान लिखने की परंपरा अति प्राचीन है। अशोक के शिलालेख में दंड विधान इत्यादि का ज़िक्र है, भारत का गणतंत्र 5000 वर्ष पुराना है। उन्होंने कहा कि अब ये प्रयास होने चाहिए कि संविधान का भी भारतीयकरण हो।

कुलचिव ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद देश के राजाओं ने अपनी शक्तियां लोकतंत्र को दे दी थीं। उन्होंने सभी छात्रों, शिक्षकों, कर्मचारियों को गणतंत्र दिवस, वसंत उत्सव के साथ-साथ प्रेमचंद और निराला के जन्मदिवस की बधाइयां भी दीं।

न्यूज़ सोर्स : अदनान खान एडिटर इन चीफ। IND28.COM