सतीश मैथिल सांचेत रायसेन। IND28.COM

संगीतमयी श्री राम कथा का दूसरे दिन श्री राम कथा में सती चरित्र का वर्णन किया गया। कथा श्रवण के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। रायसेन तहसील क्षेत्र के ग्राम वामनोद में स्वयं प्रकटे हनुमान मन्दिर में चल रही संगीतमयी श्री राम कथा के दूसरे दिन विदिशा से पधारे कथा व्यास गोवत्स पंडित अंकित कृष्ण महराज बटुक जी ने शिव चरित्र का सुन्दर वर्णन किया। व्यास ने मां पार्वती के जन्म, कामदेव के भस्म होने और भगवान शिव द्वारा विवाह के लिए सहमत होने की कथा सुनाई।मंदिर के पुजारी किशन दास वेष्णब के सानिध्य में आयोजित श्री राम कथा में महाराज ने श्रोताओं को सुनाते हुए कहा कि राजा दक्ष प्रजापति ने भगवान शंकर का अपमान करने के लिए महायज्ञ का आयोजन किया था। जिसमें उसने भगवान शिव को छोड़कर समस्त देवताओं को आमंत्रण भेजा था। भगवान शंकर के मना करने के बाद भी सती अपने पिता के यहां जाने की इच्छा जताई तो भगवान शंकर ने बिना बुलाए जाने पर कष्ट का भागी बनने की बात कही।इसके बाद भी सती नहीं मानी और पिता के घर चली गईं। पिता द्वारा भगवान शंकर के अपमान पर सती ने हवन कुंड में कूदकर खुद को अग्नि में समर्पित कर दिया। इसके बाद भगवान शंकर के दूतों ने यज्ञ स्थल को तहस-नहस कर दिया। माता सती के अग्नि में प्रवाहित होने के बाद तीनों लोकों को भगवान शिव के कोप भाजन का शिकार होना पड़ा।

 

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