प्राचीन विष्णु धाम में भागवत कथा के समापन पर हुआ सुदामा चरित्र
सतीश मैथिल सांचेत रायसेन। IND28.COM
सांचेत प्राचीन विष्णु मंदिर परिसर ग्राम बावलिया में चल रही सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के आखरी दिन मंगलवार की कथा व्यास साध्वी पूजा अंजली दीदी जी ने विभिन्न प्रसंगों पर प्रवचन दिए। उन्होंने कहा कि सातवें दिन कृष्ण के अलग-अलग लीलाओं का वर्णन किया गया। मां देवकी के कहने पर छह पुत्रों को वापस लाकर मा देवकी को वापस देना सुभद्रा हरण का आख्यान कहना एवं सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कथा व्यास वृंदावन से आई साध्वी पूजा अंजली दीदी जी ने बताया कि मित्रता कैसे निभाई जाए यह भगवान श्री कृष्ण सुदामा जी से समझ सकते हैं। उन्होंने कहा कि सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह पर अपने मित्र सखा से सुदामा मिलने के लिए द्वारिका पहुंचे। उन्होंने कहा कि सुदामा द्वारिकाधीश के महल का पता पूछा और महल की ओर बढ़ने लगे द्वार पर द्वारपालों ने सुदामा को भिक्षा मांगने वाला समझकर रोक दिया। तब उन्होंने कहा कि वह कृष्ण के मित्र हैं। इस पर द्वारपाल महल में गए और प्रभु से कहा कि कोई उनसे मिलने आया है।अपना नाम सुदामा बता रहा है। जैसे ही द्वारपाल के मुंह से उन्होंने सुदामा का नाम सुना प्रभु सुदामा सुदामा कहते हुए तेजी से द्वार की तरफ भागे सामने सुदामा सखा को देखकर उन्होंने उसे अपने सीने से लगा लिया। सुदामा ने भी कन्हैया कन्हैया कहकर उन्हें गले लगाया और सुदामा को अपने महल में ले गए ओर उनका अभिनंदन किया। इस दृश्य को देखकर श्रोता भाव विभोर हो गए। उन्होंने सुदामा और कृष्ण की झांकी पर फूलों की वर्षा की इसके वाद प्रसाद वितरण और भंडारे का आयोजन किया गया यहां पर आसपास के क्षेत्र जैसे बावलिया करोद सेमरा खरवई वामनोद ग्यारसावाद बहेडिया सगोनिया पोहरा हकीमखेड़ी सांचेत गमीरी डंडेरा बहेड आदि स्थानों से लगभग हजारों की संख्या में भक्त भागवत कथा का आंनद लेने विष्णु धाम पहुंचे।