सतीश मैथिल सांचेत रायसेन। IND28.COM

ग्राम वामनोद में स्वयं प्रकटे हनुमान मंदिर में श्रीराम कथा के आठवें दिन सोमवार को कथा वाचक गोवत्स पंडित अंकित कृष्ण जी महाराज ने कहा कि सेवक बनाया नहीं जाता, स्वयं बनना पड़ता है। सांची ब्लॉक के वामनोद गांव में एक हनुमान मंदिर में चल रहे नौ दिनी श्रीराम कथा के आठवें दिन की कथा करते हुए अंकित कृष्ण महाराज ने अपने अमृतवाणी से कथा मंडप में उपस्थित श्रद्धालुओं को भजन सुनाया। तीर्थराज प्रयाग से बात करते हुए भरत जी के समर्पण और सेवा भाव का चित्रण करते हुए कहा कि मेरी मां ने मेरे लिए अर्थ मांगा अनर्थ हो गया।धर्म के बंधन में प्रभु वन चले गए। प्रभु की सेवा के अतिरिक्त मुझे और कोई काम नहीं चाहिए उन्हें मोक्ष की भी चाह नहीं है। राजन जी ने बताया कि जो सेवक अपने स्वामी की बराबरी करता है उसे देखकर लज्जा को भी लज्जा आती है। सेवक बनाया नहीं जाता, स्वयं बनना पड़ता है। उन्होंने आगे बताया कि भगवान के चरणों के प्रति प्रेम हो जाए, यही संसार के मंगल का मूल है।भरत सरिस को राम सनेही का अर्थ समझाते हुए कहा कि भरत भगवान के बनाए हर जीव से प्रेम करते हैं

न्यूज़ सोर्स : IND28.COM