सतीश मैथिल/अभिषेक लोधी सांचेत रायसेन। IND28.COM

कस्बा सांचेत में श्रीराम जानकी मंदिर पर चल रही मासिक श्रीमद भागवत कथा में चौथे दिन शुक्रवार को कथा वाचक पंडित संतोष उपाध्याय ने कथा के माध्यम से भक्तो को सुनाई पुरुषोत्तम मास की कथा, और बताई पूजा विधि और व्रत के लाभ पंडित संतोष उपाध्याय ने बताया कि मलमास जिसे पुरुषोत्तम मास के नाम से भी जाना जाता है। इस महीने में भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करना बहुत ही उत्तम माना जाता है। साथ ही इस महीने में मलमास की कथा पढ़ने का भी विशेष महत्व है।मलमास जिसे पुरुषोत्तम मास के नाम से भी जाना जाता है। इस महीने में भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है। इस पूरे महीने में जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा के साथ भगवान विष्णु की आराधना करता है उस व्यक्ति पर लक्ष्मी नारायण की कृपा बनी रहती है। पूजा के दौरान पूरे मलमास हर रोज इस कथा का पाठ भी करना चाहिए।पुरुषोत्तम मास के बारे में कहा गया है कि इस मास को मलमास के नाम से जाना जाता था। मलमास के इस नाम और बिना किसी अधिकार के होने के कारण कोई भी इस मास की प्रशंसा नहीं करता था।मलमास में अपनी इस स्थिति से बहुत चिंतित पबने लगा। अपने नाम को लेकर उसे काफी निंदा का सामना करना पड़ता था। साथ ही इस मास के कोई स्वामी भी नहीं था। जिस वजह से इसके अस्तित्व के नकारा जाने लगा। लेकिन, मलमास के बिना वर्ष की गणना कर पाना संभव नहीं हो सकता था। मलमास के बिना समय गणना की स्थिति अव्यवस्थित हो सकती थी।अपनी इस प्रकार की अवहेलना से दुखी मलमास चिंतित हो श्री हरि की शरण में जाता है। मलमास अपनी सारी व्यथा भगवान विष्णु के सामने बताता है। स्वामी बिनी होने के कारण उसे निंदा सुननी पड़ती थी। मलमास को इस बात से दुखी होता देखकर भगवान विष्णु ने उसे आश्वासन दिया की अब से कोई तुम्हारी निंदा नहीं करेगा।भक्तवत्सल श्री विष्णु जी ने उसे अपने लोक में स्थान देने का निश्चय तिया। साथ ही मलमास को वरदान दिया कि अब से मैं तुम्हारा स्वामी बनूंगा। तुम्हारे अंदर मेरे ही गुण होंगे। भगवान विष्णु ने मलमास को अपने सभी दिव्य गुणों से सुशोभित कर दिया और मलमास को अपने नाम पुरषोत्तम दिया कहा की अब से तुम पुरुषोत्तम मास के नाम से जगत में विख्यात होंगे और मेरे नाम से ही जाने जाओगे। भगवान विष्णु के वरदान के बाद से ही मलमास को पुरुषोत्तम मास के नाम से जाना जाने लगा। इसलिए इस महीने में भगवान विष्णु की उपासना करना और उनका जप करना उत्तम फलदायी रहता है।

पंडित संतोष उपाध्याय ने बताई मलमास की पूजा विधि----पुरुषोत्तम मास अनेक नाम दिए गए हैं। इस मास को अधिकमास और मलमास भी कहा जाता है। इस दुर्लभ पुरुषोत्तम मास के समय भगवान विष्णु के नामों का जप करना चाहिए। साथ ही स्नान, पूजन और दान जैसे पुण्य कार्य करने चाहिए। इस महीने में आने वाली एकादशी और पूर्णिमा का भी विशेष महत्व होता है। इसलिए इनका व्रत करना चाहिए। कहा जाता है कि इस महीने में एकादशी का व्रत करने से पुरुषोत्तम मास की कथा पढ़ने और सुनने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

 

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