सतीश मैथिल/अभिषेक लोधी सांचेत रायसेन। IND28.COM

ग्राम बड़ौदा में चल रही संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिन कथावाचक आचार्य पंडित ओमप्रकाश शुक्ला सोजना बालों द्वारा श्री कृष्ण बाल लीला माखन चोरी और पूतना का उद्धार की कथा को सुनाया। पंडित शुक्ला ने बताया कि श्रीमद् भागवत कथा में पांचवे दिन कन्हैया की बाल लीलाओं का वर्णन, पूतना उद्धार, शकट भंजन. तृणावर्त वध, भगवान कृष्ण का नामकरण, माखन चोरी, उखल बंधन लीला का व्याख्यान किया।नाचते-गाते-झूमते हुए आज हर भक्त का मन वृन्दावन धाम की रज को माथे से लगाने वृंदावन पहुंच गया। श्री भगवान का गोकुल से श्रीवृंदावन पधारने की कथा पर चलो रे मन श्रीवृंदावन धाम, रटेंगे राधा-राधा नाम... भजन पर मानों भक्तों को शरीर कथा स्थल पर नृत्य कर रहा था और मन श्रीवृंदावन में पहुंच गया। श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्ण करते हुए कहा कि भगवान की लीलाओं को बुद्धि से नहीं भाव से समझा जा सकता है।

पाखंड का और तृणावर्त रजोगुण------अघासुर पाप का प्रतीक थाबकासुर पाखंड का और तृणावर्त रजोगुण व तमोगुण का। श्रीहरि ने इन सबका वध किया। लेकिन, कालिया नाग का नहीं जो काम और इंद्रियों का प्रतीक था। भगवान ने उसे रमणीक द्वीप पर भेज दिया। द्वीप हमारे हाथों की रेखाओं में होते हैं। अर्थात काम की आवश्यकता भगवान के भक्तों को भी होती है। लेकिन उसका स्थान हृदय में नहीं हाथ की मुट्ठी में होना चाहिए। हमें अपनी इंद्रियों को वश में रखना आना चाहिए। यदि आपके हृदय में भगवान का वास है तो श्रीहरि पाप, पाखंड, रजोगुण, तमोगुण से हमेशा दूर रखते हैं। कहा कि तुम्हारी अनैतिक कमाई का लाभ तो कोई भी उठा सकता है। लेकिन, तुम्हारे अनैतिक कर्मों तो तुम्हें ही भोगना होगा। इसलिए कर्म करनें में सावधानी बरतें। मोक्ष केवल दो प्रकार के लोगों को मिलता है। पहला तो भगवान का स्मरण करते हुए अपने प्राण त्यागें। दूसरा वह जो रणभूमि राष्ट्र व धर्म की रक्षा के लिए शत्रु के सामने वीरगति को प्राप्त हो। चौरासी लाख योनियों में केवल मनुष्य जन्म में पाने पर ही मोक्ष मिलता है। इसलिए मोक्ष के लिए प्रयत्न करें।

जन्म लेते ही पहरेदार सो गए------भगवान कृष्ण का जन्म लेते ही पहरेदार सो गए। वासुदेव व देवकी की बेड़ियां और कारागार के दरवाजे खुल गए। भगवान कृष्ण को लेकर वासुदेव गोकुल गए। गोकुल से योगमाया कन्या को लेकर कारागार में लौटे तो बेड़ियां बंधी और दरवाजे बंद हो गए, द्वारपाल जाग गए। अर्थात भगवान के पास में आते हैं तो सारे बंधन खुल जाते हैं। लेकिन, माया पास में आती है तो व्यक्ति बंधन में जकड़ जाता है। इसलिए भगवान के निकट रहिए। पूतना उद्धार, भगवान कृष्ण का नामकरण, माखन चोरी, ऊखल बंधन लीला, श्रीभगवान का गोकुल से वृन्दावन पधारना, वकासुर का वध, कालिया मर्दन आदी लीलाओं का वर्णन करते हुए आचार्य शुक्ला ने कहा कि वृंदावन धाम कोई तीर्थ नहीं है। वह तो भगवान का धाम है। तीर्थों का राजा प्रयाग है। सबी तीर्थ अपने पाप धोने प्रयाग आते हैं। प्रयाग को अपना पाप धोने के लिए वृंदावन जाना पड़ता है। वृन्दावन में भक्ति महारानी अपने पुत्र ज्ञान व वैराग्य के साथ नृत्य करतीं हैं। धन्यं वृन्दावनं तेन भक्ति नृत्यती यत्र च।

स्त्रियों में भगवान का स्वरूप हैं सात गुण-----स्त्रियों के शरीर में भगवान सात रूपों में निवास करते हैं। मधुर वाणी, पवित्र कीर्ती, सौन्दर्य का सदाचार, समय पर स्मृति, धारणा की शक्ति, धैर्य और अपराधी को क्षमा करने की शक्ति, ये सात गुण स्त्रियों में भगवान के स्वरूप हैं।

 

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