सतीश मैथिल/अभिषेक लोधी सांचेत रायसेन। (IND28.COM हर खबर पर पैनी नज़र)

कस्बा सांचेत में स्तिथ प्राचीन मां हिंगलाज दुर्गा मठ में चल रही शिव महापुराण के छटवे दिन शुक्रवार को कथा आचार्य पंडित पीलेश कृष्ण महाराज ने कथा में सुनाया एक दांत अर्थात जो बात कह दिया उसमें अटल रहते हैं और लम्बी नाक होना प्रतिष्ठा का प्रतीक है। शिव की प्राप्ति के लिए अहंकार त्यागना होगा। शिव महापुराण कथा श्रवण व शिव भक्ति के लिए पहले अहंकार दूर करना होगा। क्योकि जब तक अहंकार होता है तक भोलनाथ प्रसन्न नही होते है। जिस प्रकार आदि देव महादेव को भोलेनाथ कहा जाता है उसी उनको भक्त भी भोले पसंद है। जब तक अहंकार दूर नही होगा तब तक शिव की भक्ति प्राप्त होना कठिन है। यह बात मां हिंगलाज दुर्गा मठ मैं पंडित अरूण शास्त्री और सांचेत के ग्राम वासियों की ओर से चल रही शिव महापुराण कथा के छठे दिन शुक्रवार को वृन्दावन धाम के आचार्य पंडित पीलेश कृष्ण महाराज ने कही। शिव कथा सुनाते हुए कहा कि शिव और पार्वती के दो पुत्र हुए एक का नाम कार्तिकेय और दूसरे का नाम गणेश है। कार्तिकेय पुरुषार्थ का प्रतीक माना गया है। पुराणों में श्री गणेश की अनेक कथाएं प्राप्त होती हैं। एक कल्प में साक्षात श्रीकृष्ण उनके पुत्र बनते हैं दूसरे कल्प में पार्वती के उद्घटन से उनकी उत्पत्ति होती है। एक कल्प में शनि की दृष्टि से सिर कटता है और दूसरे में स्वयं शिवजी सिर काटते हैं। माता के कोप से बचने के लिए हाथी का सिर जोड़ा जाता है। हाथी का सिर बड़ा होता है लेकिन आंखें छोटी होती हैं। यह सूक्ष्म दृष्टि का प्रतीक है। हमारी दृष्टि सूक्ष्म होनी चाहिए। कान सूप के जैसे मानो फालतू बात गणेश नहीं सुनते। एक दांत अर्थात जो बात कह दिया उसमें अटल रहते हैं और लम्बी नाक होना प्रतिष्ठा का प्रतीक है।कथा व्यास ने कहा कि जहां पर सूक्ष्म दृष्टि होती है। वहां विघ्न नही होता है और जहां विघ्न बाधा न हो तो वहीं ऋद्धि-सिद्धि और शुभ लाभ का सदैव आगमन होता है।संयोजक पंडित अरूण शास्त्री ‘गुरुजी’ ने बताया कि कथा तीन फरवरी दोपहर एक बजे से सायं पांच बजे तक कथा होगी। तीन फरवरी को महा प्रसादी का आयोजन किया जाएगा। सांथ कथा में साधू संतो का आगमन हुआ जिसमें वृंदावन से कथावाचक सुश्री राधा रानी और अहमदपुर से कथा वाचक पंडित नीलेश कृष्ण शास्त्री और सिद्ध धाम सिहोरा से पंडा जी सांचेत से कथा वाचक पंडित शिवराज कृष्ण शास्त्री और वामनोद से हनुमान मंदिर के पुजारी पंडित किशनदाश बैसनव का कथा में आगमन हुआ जिससे सांचेत भूमी धन्य हुई।


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