सतीश मैथिल सांचेत रायसेन। (IND28.COM हर खबर पर पैनी नज़र)

ग्राम मानपुर मनकापुर में चल रही देवी भागवत कथा के अंतिम दिन कथा व्यास ज्योतिष आचार्य पंडित प्रवीण राजोरिया ने बताया की नवरात्रि में दो वर्ष से 10 वर्ष की कन्या का पूजन करना चाहिए और कन्या भोजन कराने से मिलता है अनंत गुना फल ब्राह्मण को कन्या को भोजन करना क्षत्रिय को ब्राह्मण वैश्या को ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य तीनों वर्णों की कन्याओं को भोजन करना एवं शुद्ध को सभी वर्णों की भोजन कराने का विधान है। पूजन का नवरात्र में शास्त्र वेद कन्याओं का पूजन करने से मिलता है। अनंत गुना फल प्रमुख जवान प्रमुख जसवान अशोक दुबे कथा स्थल कथा ब्यास ज्योतिष अचार्य प्रवीण राजोरिया ने बताया कि देवी भागवत के अनुसार किस उम्र की कन्या का पूजन करने से क्या मिलता है लाभ। ज्योतिषाचार्य के मुताबिक कन्या पूजन को लेकर देखा जाए तो शास्त्र के अंतर्गत वर्णन है कि 1 साल से कम उम्र वाली और 10 वर्ष के ऊपर की कन्या का पूजन नहीं करना चाहिए।देवी भागवत के अंदर कन्या की उम्र में अलग-अलग देवी के स्वरूप की संज्ञा बताई गई है। नवरात्री में किस उम्र की कन्या के पूजन से क्या मिलेगा लाभ।देवी भागवत के प्रथम खंड के तृतीय स्कंध में नवरात्री पूजन व्रत का सारा विधान वर्णित है। भक्तजन नवरात्रि के आठवें और नौवें दिन कन्याओं का पूजन करके उन्हें भोजन कराते हैं। कन्या पूजन को लेकर देखा जाए तो शास्त्र के अंतर्गत वर्णन है कि 1 साल से कम उम्र वाली और 10 वर्ष के ऊपर की कन्या का पूजन नहीं करना चाहिए। देवी भागवत के अंदर कन्या की उम्र में अलग-अलग देवी के स्वरूप की संज्ञा बताई गई है। कौन सी कन्या के पूजन से हमें क्या लाभ प्राप्त होता है उसको लेकर के देवी भागवत में स्पष्ट वर्णन है।किस उम्र की कन्या को देवी के कौन से रूप की संज्ञा दी गई है और उस उम्र की कन्या के पूजन से क्या लाभ मिल सकता है।

एक से दो वर्ष की कन्याओं को कुमारी कहा जाता है। इन कन्याओं का पूजन करने से दुख और दरिद्रता का नाश होता है।

दो से तीन वर्ष की कन्याओं को त्रिमूर्ति कहा जाता है। इनके पूजन से परिवार के वंश में वृद्धि होती है।

तीन से चार साल की उम्र की कन्याओं को कल्याणी कहा जाता है। इनके पूजन से राज्य और विद्या की प्राप्ति होती है।

चार से पांच साल की उम्र की कन्याओं को रोहिणी कहा जाता है। इनके पूजन से रोगों का नाश होता है।

पांच से छह साल की उम्र की कन्याओं को कालिका कहा जाता है। इनके पूजन से शत्रुओं से छुटकारा मिलता है।

छह से सात साल की उम्र की कन्याओं को चंडिका कहा जाता है। इनके पूजन से यश और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

सात से आठ साल की कन्याओं को सांभवी नाम की कन्या कहा जाता है। इन कन्याओं के पूजन से कोर्ट कचहरी के मामलों में विजय प्राप्त होती है।

आठ से नौ साल की कन्याओं को दुर्गा नाम की कन्या कहा जाता है। इनके पूजन से मोक्ष की प्राप्ति होती है और परलोक में सुख प्राप्त होता है।

नौ से दस साल की कन्याओं को सुभद्रा कहा जाता है। इन कन्याओं के पूजन से कामना की पूर्ति होती है।

 

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