शिव की प्राप्ती के लिए अहंकार त्यागना होगा: पं. हरिनारायण शास्त्री
सतीश मैथिल सांचेत रायसेन। (IND28 हर खबर पर पैनी नज़र)
ग्राम बावई में स्तिथ प्राचीन श्रीराम जानकी मंदिर परिसर में चल रही श्री शिव महापुराण कथा के छटवे दिन मंगलवार को कथा आचार्य पंडित हरिनारायण शास्त्री टिकोदा वाले महाराज ने कथा में सुनाया कि एक दांत अर्थात जो बात कह दिया उसमें अटल रहते हैं और लम्बी नाक होना प्रतिष्ठा का प्रतीक है। शिव की प्राप्ति के लिए अहंकार त्यागना होगा शिव महापुराण कथा श्रवण व शिव भक्ति के लिए पहले अहंकार दूर करना होगा। क्योकि जब तक अहंकार होता है तक भोलनाथ प्रसन्न नही होते है। जिस प्रकार आदि देव महादेव को भोलेनाथ कहा जाता है उसी उनको भक्त भी भोले पसंद है। जब तक अहंकार दूर नही होगा तब तक शिव की भक्ति प्राप्त होना कठिन है। यह बात श्री राम जानकी मंदिर परिसर में श्री शिव महापुराण कथा के छठे दिन मगंलवार को टिकोदा के आचार्य पंडित हरिनारायण शास्त्री महाराज ने कही।शिव कथा सुनाते हुए कहा कि शिव और पार्वती के दो पुत्र हुए एक का नाम कार्तिकेय और दूसरे का नाम गणेश है। कार्तिकेय पुरुषार्थ का प्रतीक माना गया है। पुराणों में श्री गणेश की अनेक कथाएं प्राप्त होती हैं। एक कल्प में साक्षात श्रीकृष्ण उनके पुत्र बनते हैं दूसरे कल्प में पार्वती के उद्घटन से उनकी उत्पत्ति होती है। एक कल्प में शनि की दृष्टि से सिर कटता है और दूसरे में स्वयं शिवजी सिर काटते हैं। माता के कोप से बचने के लिए हाथी का सिर जोड़ा जाता है। हाथी का सिर बड़ा होता है लेकिन आंखें छोटी होती हैं। यह सूक्ष्म दृष्टि का प्रतीक है। हमारी दृष्टि सूक्ष्म होनी चाहिए। कान सूप के जैसे मानो फालतू बात गणेश नहीं सुनते। एक दांत अर्थात जो बात कह दिया उसमें अटल रहते हैं और लम्बी नाक होना प्रतिष्ठा का प्रतीक है।कथा व्यास हरिनारायण शास्त्री ने कहा कि जहां पर सूक्ष्म दृष्टि होती है। वहां विघ्न नही होता है और जहां विघ्न बाधा न हो तो वहीं ऋद्धि-सिद्धि और शुभ लाभ का सदैव आगमन होता है। यजमान निखिल साक्षी दांगी ने बताया कि कथा 31 जुलाई को दोपहर दो बजे से सायं पांच बजे तक कथा होगी। 31 जुलाई को महा प्रसादी का आयोजन किया जाएगा।