कलेक्टर के आदेश को दरकिनार करते हुए किसान नरवाई में लगा रहे हैं आग

वसीम कुरैशी सांची रायसेन। (IND28 हर खबर पर पैनी नज़र)
सांची क्षेत्र में रबी की फसलें कटने के बाद खेतों में नरवाई (फसल के बचे हुए डंठल) मे लगातार आग लगाकर खेतों की सफाई जारी है। किसान परंपरागत रूप से खेतों की सफाई के लिए नरवाई में आग लगा रहे हैं, जिससे कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।नरवाई जलाने की प्रक्रिया से न केवल आसपास क्षेत्र के खेतों में बची हुई फसल पर आग का खतरा मंडरा रहा है, बल्कि इससे आसपास के क्षेत्र में भारी मात्रा में धुआं फैल रहा है। धुएं के साथ उड़ती कालिख घरों तक पहुँच रही है, जिससे लोगों को खासी परेशानी उठानी पड़ रही है साथ ही वातावरण में प्रदूषण जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इतना ही नहीं नरवाई जलाने के नाम पर पशुओं को मिलने वाला आहार भी नष्ट हो रहा है जिससे भविष्य में पशुओं के भूखे मरने की आशंका भी बढ रही है ।नरवाई मे आग लगने पर प्रशासन मे बैठे जिम्मेदार भी बेखबर बने हुए हैं ।
खेती की उर्वरक शक्ति को भी नुकसान--विशेषज्ञों का मानना है कि नरवाई जलाने से मिट्टी की ऊपरी परत की जैविक गुणवत्ता नष्ट होती है, जिससे खेत की उर्वरक शक्ति प्रभावित होती है। यह लंबे समय में उत्पादन को नुकसान पहुंचाता है।
प्रशासन का आदेश लेकिन पालन नहीं--हालांकि कलेक्टर द्वारा नरवाई जलाने पर सख्त प्रतिबंध लगाया गया है, परंतु उसकी अवहेलना खुलेआम हो रही है। प्रशासन द्वारा जागरूकता फैलाने और जुर्माने की चेतावनी देने के बावजूद किसान अभी भी खेतों में नरवाई को जलाकर साफ करने में लगे हैं।खेतों में खडे हरे भरे पेडपौध भी झुलस जाते हैं।इस नरवाई जलने से न केवल खेती की भूमि की ही उर्बरकता नष्ट होती है बल्कि खेतों में खडे पेडपौधे भी इस आग की चपेट में आने से झुलस जाते है जिससे वातावरण में आक्सीजन की कमी भी बढ जाती हैं।स्थानीय नागरिकों और पर्यावरण प्रेमियों ने प्रशासन से मांग की है कि नरवाई प्रबंधन के वैकल्पिक उपायों को अपनाया जाए और नियमों का सख्ती से पालन कराया जाए, ताकि आम जनजीवन और खेती दोनों सुरक्षित रह सकें।तथा पशुओं को भी आहार मिल सके।