सतीश मैथिल, अभिषेक लोधी सांचेत रायसेन। IND28.COM

भोपाल सागर मार्ग के खंडेरा सड़क पर आवारा पशुओं का जमघट जगह जगह लगा रहता है जिसकी वजह से आए दिन वाहन चालकों को खासी मशक्कत उठाना पड़ रही है। और तो और जब यह आवारा पशु आपस में लड़ते हैं तो सड़क से पैदल निकल रहे लोगों सहित दो पहिया वाहन चालकों को भय बना रहता है। बारिश का मौसम शुरू होते ही ग्रामीण क्षेत्रों में बोवनी के कारण मवेशियों को विचरण के लिए जगह नहीं बचती है, इस वजह से गांवों में घूम रहे आवारा पगशुओं को किसान फसल बचाने के उद्देश्य से नगर की ओर खदेड़ रहे हैं। इससे अब नगर में बड़ी संख्या में आवारा पशुओं का जमावड़ा होने लगा है। नगर में प्रत्येक सड़क पर पशु झुंड बनाकर बैठे देखे जा सकते हैं। वहीं व्यस्तम सड़कों पर पशुओं का बसेरा होने से वाहन चालक दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं। बारिश के दिनों में सड़क सूखी होने के कारण पशु रोड पर बैठ जाते और इससे यातायात प्रभावित होता है। नगर में घूम रहे आवारा पशुओं के कारण लोगों की जान को खतरा बना हुआ है, लेकिन इस तरफ ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इस कारण राहगीरों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। आवारा पशु जब आपस में लड़ते हैं तो सड़क से पैदल निकल रहे लोगों सहित दो पहिया वाहन चालकों को भय बना रहता है। इस दौरान कई लोग इनकी चपेट में आने से घायल हो चुके हैं।

नहीं बची चरनोई भूमि-----ग्रामीण क्षेत्रों में शासकीय व चरनोई जमीनों पर दबंगों ने कब्जा कर खेत बना लिए हैं, इससे पशुओं को चारे के लिए जगह नहीं बची। तो इस वजह से आवारा मवेशी अपना पेट भरने के लिए किसानों के खेतों में जाते हैं और फसल चट करते हैं। जब किसान वहां से भगाते हैं तो ये आवारा मवेशी हाइवे पर झुंड बनाकर बैठ जाते हैं। कई ग्रामीण मजबूरी में बारिश के समय मवेशियों को नगर में छोड़ जाते हैं। इसके साथ ही क्षेत्र में गोशालाओं में भी पुख्ता व्यवस्था नहीं है। यही वजह है कि पशुओं का सड़क पर डेरा लगा रहता है। पर कई बार यही मवेशी हादसे का कारण भी बनते हैं। जिले में इन आवारा मवेशियों के कारण कई बार हादसे हो चुके हैं। जिनमें लोगोंं की जानें गई हैं। यदि गांवों में पड़ी चरनोई की भूमि को अतिक्रमण मुक्त करवाने दिया जाए तो बहुत हद तक पशुओं को राहत मिल सकेगी। मगर जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण आमजन को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

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