सतीश मैथिल सांचेत रायसेन। (IND28 हर खबर पर पैनी नज़र)

ग्राम खंडेरा में प्रति वर्ष लगने वाला मैला शुरू हो गया है। जो की 15 दिसंबर तक चलेगा। प्राचीन मेले की शुरुआत यही से होती है। इसके बाद रायसेन में 15 दिसंबर से मेला लगेगा। और इसके बाद सन 2025 में जनवरी माह मे 14 जनवरी से विदिशा में मेला लगेगा। मां छोले वाली मैया का दरबार बहुत प्राचीन है। यहां 200 साल पहले देवी के दर्शन हुए थे। मंदिर की देखभाल और माता की सेवा कर रहे पंडित दिनेश दुबे ने बताया कि लगभग दो सौ साल पहले इस मंदिर की स्थापना की गई थी। माता रानी के विभिन्न रूपों में विभिन्न परंपराओं और मान्यताओं के अनुसार पूजन की जाती है। रायसेन जिले में सागर मार्ग पर मुख्यालय से लगभग 20 किमी दूर स्थित ग्राम खंडेरा में छौले वाली माता का मंदिर स्थित है। हाईवे से लगभग दो सौ मीटर की दूरी बने इस विशाल मंदिर में विराजी मां छौले वाली की पीठ की पूजन होती है। मंदिर की देखभाल कर रहे पंडित दिनेश दुबे ने बताया कि लगभग दो सौ साल पहले इस मंदिर की स्थापना की गई थी। तब से वे उनके परिवार की चौथी पीढ़ी के रूप में मंदिर की सेवा कर रहे हैं। मंदिर में एक नहीं बल्कि पांच प्रतिमाएं स्थापित हैं। जो पीली मिट्टी से बनी हैं। संभवत: ऐसा किसी प्रचीन मंदिर में नहीं होगा। हर जगह संगमरमर, काला पत्थर या धातु से बनी प्रतिमाएं पाई जाती हैं। लेकन खंडेरा में विराजी मां छौले वाली की प्रतिमाएं दो सौ साल पहले पीली मिट्टी से बनाई गईं, जो आज भी उसी स्वरूप में विराजित हैं। साल में दो बार होली और दीपावली की दूज पर गोबर से प्रतिमाओं का शुद्धिकरण किया जाता है। और हर पंद्रह दिनों में अमावस्या और पूर्णिमा को माता जी का कलेवर किया जाता है।

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