सांची विश्वविद्यालय में गुरू पूर्णिमा कार्यक्रम का समापन
-आधुनिक शिक्षा तकनीकों का ज्ञान छात्रों के लिए आवश्यक
-ज्ञान स्वयं व्यक्ति के अंदर सिद्ध होता है
अदनान खान सलामतपुर रायसेन। (एडिटर इन चीफ IND28 हर खबर पर पैनी नज़र)
सलामतपुर स्तिथ साँची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में गुरू पूर्णिमा कार्यक्रम के दूसरे और अंतिम दिवस कई व्याख्यान हुए। वैदिक अध्ययन विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. देवेंद्र सिंह ने “आधुनिक शिक्षा प्रणाली और नवाचार की भूमिका एवं आवश्यकता” विषय पर कहा कि शिक्षा ग्रहण करने में भी छात्रों को नवाचार अपनाने की ज़रूरत है क्योंकि तकनीक काफी तेज़ी से बदल रही है। उन्होंने छात्रों से पढ़ाई के लिए ऑडियो-विज़ुअल माध्यम, आर्टीफीशियल इंटेलिजेंस, वर्चुअल एंड ऑगमेंटेड रियालिटी(वीआरएआर), प्रोजेक्ट बेस्ड लर्निंग, माइक्रोलर्निंग, क्विज़ लर्निंग व गूगल क्लासरूम का उपयोग करने को कहा ताकि छात्र शिक्षा के आधुनिक टूल्स से अवगत होकर लाभ उठा सकें।बौद्ध अध्ययन विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. रमेश रोहित ने कहा कि सच्चा गुरु वही है जो शिष्य को सीधा मार्ग दिखाए। उन्होंने कहा कि गुरू एक जलती हुई मोमबत्ती के समान है जो स्वयं जलती है लेकिन दूसरों को प्रकाश देती है। डॉ. रोहित ने कहा कि शिक्षा का दान सबसे बड़ा दान माना गया है। भारतीय चित्रकला विभाग की सहायक प्राध्यपक डॉ. सुष्मिता नंदी ने गुरू-शिष्य परंपरा के तहत मूल्य बोध पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि आज के दौर में आत्मिक उत्थान नहीं हो रहा है जिसकी वजह से लोग निष्ठावान नहीं बन पा रहे हैं और इसीलिए मूल्य बोध घट रहा है। डॉ. नंदी ने छात्रों को सलाह दी कि वो ग्रहण करने वाली चीज़ें ग्रहण करें, स्वयं चिंतन करें और अच्छा साहित्य पढ़ें।
वैकल्पिक शिक्षा विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. प्रभाकर पांडे ने धन्यवाद ज्ञापन के अवसर पर कहा कि छात्रों को गहनता से जानना चाहिए कि लर्निंग अर्थात सीखने की प्रक्रिया क्या है। महाभारत के युद्ध के कृष्ण-अर्जुन संवाद के माध्यम से उन्होंने छात्रों को समझाने की कोशिश की कि छात्रों के मन में सवाल पैदा होने चाहिए। डॉ. पांडे ने कहा कि ज्ञान से अधिक शुद्ध करने वाली चीज़ कोई नहीं है तथा ज्ञान सबसे पहले उसे सीखने वाले व्यक्ति के अंदर सिद्ध होता है, आवश्यकता पात्रता बनाने की है।