सतीश मैथिल सांचेत रायसेन। (IND28 हर खबर पर पैनी नज़र)

ऋषि पंचमी पर महिलाओं ने व्रत रखा और कथाएं सुनकर ऋषि पंचमी का पर्व रविवार को श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया। इस अवसर पर महिलाओं ने व्रत रखा तथा कथा का श्रवण किया। इस दौरान पूरी तरह से पंरपरागत पूजन किया।पंडित अरुण शास्त्री के अनुसार क्षेत्र में महिलाओं ने श्रद्धा के साथ व्रत रखा तथा सप्त ऋषि एवं अरुंधति माता का पूजन किया। इस दौरान महिलाओं ने देवालयों में कथा का श्रवण किया। महिलाएं बिना हल के जुते हुए अन्न तथा भैंस का दही एवं करमी का साग खाकर व्रत तोड़ती हैं। ऋषि पंचमी पर्व की मान्यता है कि इस व्रत को रखने से महिलाओं की ओर से रजस्वला अवस्था में जाने-अनजाने में हुए दोष का निवारण हो जाता है। इस पर्व के शिव मंदिर सगोनिया के पुजारी पंडित अरुण शास्त्री महाराज ने महिलाओं को कथा सुनाया तथा पूजा पाठ करवाया। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को यह पर्व परंपरा और उत्साह के साथ मनाया गया। महिलाओं ने निर्जला व्रत किया। दोपहर बाद पुरोहितों से सप्तऋषियों की कथा सुनने के बाद घर, परिवार एवं समाज के कल्याण की मंगल कामना की। पुराणों में वर्णित कथा के अनुसार जो मनुष्य शुक्ल पक्ष की पंचमी को सप्तश्रृषियों की पूजा, मनन करता है उस पर सप्त श्रृषियों की कृपा से उसे धन धान्य, समृद्धि मिलती है तथा मोक्ष का मार्ग प्रशस्त हो जाता है। कथा श्रवण के बाद महिलाओं ने चावल तथा दही का सेवन कर पारण किया। बताया जाता है कि आज के दिन तेनी के चावल एवं दही को केले के पत्ते पर पारण करने पर सप्तऋषि प्रसन्न होते हैं।

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