सांची यूनिवर्सिटी में डी-स्पेस कार्यशाला का समापन
-शोधार्थियों की जानकारी आसान बनाती है ऑरसिड आईडी
-डी स्पेस, ऑरसिड, जीपीएफ के बारे में जाना
-भारत की सम्पदा को सही प्लेटफॉर्म पर पहुंचाये- कुलसचिव
अदनान खान सलामतपुर रायसेन। (एडिटर इन चीफ IND28 हर खबर पर पैनी नज़र)
साँची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में ऑरसिड जीपीएफ पर आईआईटी दिल्ली के सहयोग से दो दिवसीय कार्यशाला सम्पन्न हो सरे दिन डी-स्पेस बनाने की जानकारी के साथ उसे लाइब्रेरी और निजी तौर पर इंस्टॉल करने और अपने उपयोग हेतु सक्षम बनाना सिखाया गया। डी-स्पेस के माध्यम से विभिन्न विश्वविद्यालय व अन्य शोध संस्थान अपने शोधार्थियों के रिसर्च पेपरों, थीसीस, रिसर्च आर्टिकल्स, संस्थान के न्यूज़लैटरों इत्यादि को डिजिटल रूप में ऑरसिड यूनिक आई.डी के साथ अपलोड कर रिपॉज़िटरी तैयार कर सकेंगे। इसके लिए संस्थान अपने स्वयं के सर्वर अथवा क्लाउड का उपयोग कर यह सुविधा प्रदान करेंगे। ऑरसिड जीपीएफ का अर्थ है ओपन रिसर्चर एंड कॉन्टीब्यूटर आईडी ग्लोबल पार्टनरशिप फंड।समापन सत्र में विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. अलकेश चतुर्वेदी ने कहा कि पुराने समय में मनीषी लोग चातुर्मास में किए गए चिंतन मनन को घूम घूमकर प्रवचन करते थे। आज भारतीय ज्ञान हर क्षेत्र में है और उसे वैश्विक पटल पर लाने की आवश्यकता है। भारत की सम्पदा को संस्थानों को ऑरसिड जीपीएफ जैसे माध्यम से विश्व में फैलाया जा सकता है। विश्वविद्यालय के सहायक लाइब्रेरियन डॉ. अमित ताम्रकार ने भी कार्यशाला की रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए बताया कि कार्यशाला में ऑरसिड के उपयोग, ऑरसिड जीपीएफ व ए.पी.आई की आवश्यकता संबंधी प्रशिक्षण दिया गया। ऑरसिड आईडी से शोधार्थियों का पूरा अकादमिक कार्य देखा जा सकता है और एपीआई भी पता की जा सकती है। ऑरसिड शोधार्थी द्वारा किये गये कार्यों, दायित्वों और रिसर्च को एक जगह पर नियोजित करता है। कार्यशाला में देश के अन्य राज्यों और प्रदेश के अन्य विश्वविद्यालयों से लगभग 50 कर्मचारी, शोधार्थी और लाइब्रेरी विभाग से संबंधित प्रतिभागी शामिल हुए।