सईद नादां बेगमगंज रायसेन। (IND28.COM हर खबर पर पैनी नज़र)

मध्यस्थता विवाद खत्म करने का सबसे सटीक पहलू है, जीवन का सबसे बेहतर पल दोनों पक्षकारों के बीच समझौता कराना है जिससे मत ओर मनभेद खत्म हो जाते है। ओर ये तभी संभव है,जब दोनों पक्षकार अपने -अपने प्रकरण में आपसी सहमति से सुखद समझौता कर लें। उक्त उदगार तहसील विधिक सेवा समिति अध्यक्ष व प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश आशुतोष शुक्ल ने मध्यस्थता जागरूकता शिविर में अनेकों पक्षकारों एवं अधिवक्ताओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।उन्होंने एक विवाद से कई विवाद निकले की बात करते हुए कहाकि कई मामलों में देखा गया है कि जब किसी एक बात पर  विवाद होता है तब एक विवाद के बाद दोनों पक्षकारों पर कई प्रकरण दर्ज होकर न्यायालय में लंबे समय तक चलते हैं।सबसे अच्छा है कि किसी से माफी मांग ली जाए और किसी को माफ कर दिया जाए ताकि अपने साथ, अपने बच्चों का भविष्य निर्विवाद होकर उनका भी जीवन अच्छे से गुजरे। व्यवहार न्यायाधीश प्रथम श्रेणी निशांत मिश्रा ने अपनी पद पदस्थापना स्थल गुना के प्रकरण का वृतांत सुनाते हुए बताया कि घरेलू हिंसा के चलते 40 साल से अलग रह रहे दोनों पति-पत्नी के बीच उन्होंने तरकीब से समझौता कराते हुए नाती - पोतों के साथ उनकी फिर से बारात निकलवाई। पति-पत्नी के बीच चल रहे विवादों में अधिवक्ताओं को पहल करते हुए तत्परता से ऐसे प्रकरणों का दोनों पक्षकारों में समझौता करा लकर खत्म कराना चाहिए। वहीं व्यवहार न्यायाधीश ( द्वितीय वर्ग) श्वेता चौहान ने मध्यस्थता जागरूकता शिविर में आगे से महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर जोर देते हुए कहाकि यदि महिलाओं को भी हम कानूनी ज्ञान से प्रेरित करेंगे तो वह भी घरेलू विवादों से बचकर समझौते के लिए प्रेरित होगी। शिविर को अधिवक्ता श्रीकृष्णा तिवारी एवं संतोष बुंदेला ने भी संबोधित किया।अंत में आभार प्रदर्शन व्यवहार न्यायाधीश प्रथम श्रेणी निशांत मिश्रा द्वारा किया गया ।

 

न्यूज़ सोर्स : IND28.COM हर खबर पर पैनी नज़र