सांची यूनिवर्सिटी में पहुंचे फ्रांस के योगाचार्य डॉ पॉस्कल पेपीलियान

मैत्री, करुणा, मुदिता व उपेक्षा ही कर्मयोग- प्रो. लाभ
अदनान खान सलामतपुर रायसेन। (एडिटर इन चीफ IND28 हर खबर पर पैनी नज़र)
साँची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में फ्रांस के योगाचार्य डॉ पॉस्कल पेपीलियान का विशेष व्याख्यान आयोजित हुआ। भारत से पीएचडी करने वाले स्ट्रॉसबर्ग के डॉ. पास्कल ने कर्मयोग के माध्यम से चित्त को शांत रखने के विज्ञान पर चर्चा की। उन्होने तनावरहित जीवन प्राप्त करने के लिए कर्म में अकर्म और अकर्म में कर्म की बात करते हुए मानसिक स्थिति को सर्वाधिक अहमियत दी। उन्होंने अंग्रेज़ी की दो कविताओं का सामूहिक पाठ भी किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. वैद्यनाथ लाभ ने कहा कि चित्तशुद्धि के लिए सभी धर्म में एक समान वर्णन है। उन्होंने कहा कि ब्रह्म विहार के योगसूत्र में मैत्री, करूणा, मुदिता और उपेक्षा के माध्यम से कर्मयोग का वर्णन किया गया है। प्रो. लाभ ने मित्रता और मैत्री में अंतर बताया उन्होंने कहा कि मैत्री का अर्थ होता है किसी भी प्राणी अथवा वस्तु के लिए मात्र भलाई और सिर्फ भलाई का भाव रखना।
प्रो. वैद्यनाथ लाभ ने गीता में उल्लेखित कर्मयोग, भक्तियोग और ज्ञान योग के बारे बताया। उन्होंने कहा कि हमारे मन में हमेशा शुद्धता का भाव होना चाहिए। यदि मन शुद्ध होगा तो कर्म भी शुद्ध होगा और हम किसी के भी प्रति गलत धारणा या कार्य नहीं करेंगे।
प्रो. लाभ का कहना था कि मन की शुद्धि कठिन कार्य है लेकिन कर्मयोग के माध्यम से इसे सीखा जा सकता है। उन्होंने कर्मयोग के अन्य सूत्रों का भी वर्णन किया। उन्होंने कहा कि कर्मयोग, वाणी और मानसिक शुद्धता के माध्यम से किया जा सकता है। कर्मयोग के माध्यम से शांति आती है। कुलगुरु प्रो. वैद्यनाथ लाभ ने पातंजल्य क्रिया योग के बारे में भी कहा कि सभी धर्म आध्यात्मिक रूप से अंतिम लक्ष्य की ओर ले जाते हैं। विश्वविद्यालय के कुलसचिव, अधिष्ठाता व अंग्रेज़ी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. नवीन कुमार मेहता ने अपने धन्यवाद ज्ञापन के दौरान फ्रांस की राज्य क्रांति और उससे प्राप्त विश्वबंधुत्व, स्वतंत्रता और समानता के बारे में बताया।सांची विश्वविद्यालय के योग विभाग के द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष डॉ. उपेंद्रबाबू खत्री और सहायक प्राध्यापक डॉ. शाम गणपत तिखे सूत्रधार रहे। कार्यक्रम का संचालन अंग्रेजी विभाग की डॉ दीप्ति उपाध्याय ने किया।