नसीम अली रायसेन

एक तरफ सरकार की ओर से लोगों को बेहतर सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं देने का दावा किया जाता है और दूसरी तरफ हकीकत कुछ और है। सांची सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में  एंटी रेबीज के इंजेक्शन तक नहीं हैं। गिनती के इंजेक्शन आते हैं तो वे दो-तीन दिन भी नहीं चल पाते।

ऐसे में यहां पर कुत्ते के काटे के इलाज के लिए आने वालों को वापस ही लौटना पड़ता है। जितनी तादाद में शहर और ग्रामीण अंचल में स्ट्रीट डाग हैं उससे रोजाना कई मरीज कुत्ते के काटने के इलाज के लिए आते हैं। यदि किसी मरीज को पांच इंजेक्शन लगने हैं तो उसमें से एक या दो लगने के बाद बाकी इंजेक्शन बाजार से खरीदने पड़ते हैं, क्योंकि स्टाक तब तक खत्म हो जाता है।

स्टाफ और डाक्टरों के पास एक ही जवाब होता है कि ऊपर से इंजेक्शन नहीं आ रहे हैं। दरअसल, सांची सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र एंटी रेबीज इंजेक्शन की कमी आज से नहीं, बल्कि काफी दिनों से है। वैसे तो इस अस्पताल को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से सिविल अस्पताल बनाया जा रहा है और करोड़ों रुपए लागत से नई बिल्डिंग बनाई जा रही है।लेकिन जब दवाइयां ही उपलब्ध नहीं है तो आखिरकार मुक्त सेवा का अर्थ क्या रह जाता है।

न्यूज़ सोर्स : Ind28