धूप से झुलसे नगरवासी, अंधेरों में उलझा सांची

-विद्युत विभाग की लापरवाही ने बिगाड़ी व्यवस्था की रोशनी
वसीम कुरैशी सांची रायसेन। (IND28 हर खबर पर पैनी नज़र)
विश्वविख्यात बौद्ध नगरी सांची, जो अपने शांति के संदेश और स्थापत्य सौंदर्य के लिए विश्वभर में जानी जाती है, इन दिनों अराजकता और अव्यवस्था के अंधेरे में डूबी हुई है। यहां के निवासियों का जनजीवन इस भीषण गर्मी में बुरी तरह कराह उठा है वजह है बिजली की आंखमिचौली और विद्युत विभाग की चुप्पी।जहाँ एक ओर तापमान 45 डिग्री सेल्सियस के पार पहुँच गया है, वहीं दूसरी ओर हर घंटे आने-जाने वाली बिजली ने मानो लोगों की जीवनरेखा ही छीन ली हो। बिजली कब आएगी, कब जाएगी — यह जानना अब सांची वासियों के लिए किसी रहस्य से कम नहीं।गर्मी की तपिश और विभाग की उदासीनता — दोहरी सजाजिस समय लोग घरों में पंखे, कूलर और इन्वर्टर के सहारे राहत की उम्मीद करते हैं, ठीक उसी समय बिजली के लंबे कटौती का तांडव शुरू हो जाता है। असहनीय गर्मी में छोटे बच्चे बिलखते हैं, बुजुर्ग छटपटाते हैं और कामकाजी लोग परेशान होकर दिन-रात काटने को मजबूर हैं।
विश्व धरोहर’ का तमगा, पर सुविधाओं में शून्यता--यह दुःखद विडंबना है कि जिस सांची को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा प्राप्त है, वहीं मूलभूत सुविधाओं की यह बदहाल स्थिति शासन की योजनाओं पर प्रश्नचिन्ह लगा रही है। सरकार और प्रशासन द्वारा अनेक योजनाएं, परियोजनाएं और विशेष दर्जे की घोषणाएं की जाती हैं, परन्तु स्थानीय विद्युत विभाग की लापरवाही उन सभी प्रयासों पर पानी फेर रही है।केवल जल गई यही उत्तर, यही बहानाजब नगरवासी विद्युत आपूर्ति के बार-बार बाधित होने का कारण जानना चाहते हैं, तो एक ही रटा-रटाया उत्तर मिलता है। केवल जल गई है। क्या यही जवाब देने के लिए अधिकारियों को बैठाया गया है? क्या यही है एक विश्व पर्यटन स्थल की सेवा भावना नई केबल लाइन, पुरानी लापरवाही कुछ वर्ष पूर्व नगर में नई विद्युत लाइन बिछाई गई थी, जिसे लेकर बड़े-बड़े वादे किए गए थे। कहा गया था कि अब सांची में 24 घंटे निर्बाध बिजली आपूर्ति होगी। परंतु वास्तविकता तो यह है कि अब बिना किसी पूर्व सूचना के घंटों बिजली गायब रहती है, और उपभोक्ताओं को भारी भरकम बिल थमा दिए जाते हैं।जनता का आक्रोश, पर जिम्मेदारों की चुप्पीनगरवासियों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। लोग अब सवाल कर रहे हैं क्या सिर्फ बिल जमा करना ही हमारी जिम्मेदारी है क्या सरकार तक हमारी आवाज पहुंचेगी या हम यूं ही अंधेरों में जलते-सुलगते रहेंगे?”एक पुकार प्रशासन सुनो!यह सिर्फ बिजली की बात नहीं, यह जीवन की बात है। बच्चों की नींद, बीमारों की दवा, विद्यार्थियों की पढ़ाई और पूरे नगर की दिनचर्या इस व्यवस्था पर निर्भर है।अब समय आ गया है कि शासन-प्रशासन इस अनदेखी पर कठोर निर्णय ले। विद्युत मंडल के गैरजिम्मेदार रवैए पर लगाम कसे और सांची जैसे सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक स्थल को वास्तविक ‘सुविधा संपन्न नगर’ बनाने की दिशा में ठोस कार्यवाही करे।यह समाचार सिर्फ एक रिपोर्ट नहीं, बल्कि उन हज़ारों आवाज़ों की गूंज है जो बिजली के अभाव में दब चुकी हैं। प्रशासन अगर अब भी नहीं चेता, तो सांची की गरिमा पर यह अंधेरा एक स्थायी बदनुमा दाग बन जाएगा।