सतधारा क्षेत्र में सुरक्षित पर्यटन के लिए नही लगे हैं CCTV कैमरे, पर्यटकों की जान से खिलवाड़
-रविवार को भोपाल, विदिशा, रायसेन से बड़ी संख्या में सतधारा स्तूप घूमने पहुंचते हैं पर्यटक
-स्तूप कर्मचारियों को सलामतपुर पुलिस ने दिए सुरक्षा संबंधी दिशा निर्देश
-संदिग्ध व्यक्तियों को देखने पर तत्काल थाने में सूचना देने की दी हिदायत
अदनान खान सलामतपुर रायसेन। (एडिटर इन चीफ IND28 हर खबर पर पैनी नज़र)
विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में शामिल सतधारा बौद्ध स्तूप क्षेत्र में सुरक्षा को लेकर पर्यटकों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है। यहां पर सुरक्षा की दृष्टि से सीसीटीवी कैमरे तक नही लगे हैं। जबकि शनिवार और रविवार को भोपाल, विदिशा, सीहोर, रायसेन सहित आसपास क्षेत्र से पर्यटक काफी अधिक संख्या में पिकनिक मनाने और घूमने पहुंचते हैं। उसके बाद भी पर्यटन विभाग यहां पर कुछ भी सुविधाएं पर्यटकों को नही दे रहा है। इसी बात के चलते पर्यटकों में शासन प्रशासन के खिलाफ आक्रोश है। वहीं सलामतपुर थाना प्रभारी दिनेश सिंह रघुवंशी के दिशा निर्देश पर थाने के प्रधान आरक्षक जीतेन्द्र वर्मा और आरक्षक रंजीत धाकड़ ने पुरातत्व विभाग के सतधारा स्तूप पहुंचकर सुरक्षा संबंधी व्यवस्थाओं का जायज़ा लिया। स्तूप पर मौजूद एमटीएस राजू कुशवाह और शनि यादव से स्तूप क्षेत्र में सुरक्षा पर तैनात कर्मचारियों की जानकारी ली और दिशा निर्देश भी दिए। वर्तमान में सतधारा स्तूप क्षेत्र में 6 कर्मचारी नियुक्त हैं। जिनमें से दो स्थाई कर्मचारी व चार कर्मचारियों को डेली वेज़ पर रखा गया है। गौरतलब है कि सतधारा स्तूप परिसर सहित पूरे क्षेत्र में सुरक्षा के इंतेज़ाम नाकाफी है। और स्तूप परिसर जंगल क्षेत्र से जुड़ा हुआ है तो जंगली जानवरों का खतरा भी यहां पर बना रहता है। इसलिए पर्यटन विभाग को यहां पर सुरक्षा व्यवस्था को और बढ़ाना बहुत आवश्यक है।
18 सितंबर को रायसेन कलेक्टर ने सतधारा में सीसीटीवी कैमरे लगाने के दिए थे निर्देश---रायसेन कलेक्टर अरविंद दुबे की अध्यक्षता में 18 सितंबर को जिला पुरातत्व, पर्यटन एव संस्कृति परिषद की बैठक का आयोजन किया गया था। बैठक में कलेक्टर श्री दुबे ने पर्यटन और पुरातात्विक महत्व के स्थलों पर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विस्तृत चर्चा करते हुए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए थे। जिसमे सांची क्षेत्र में डिस्प्ले बोर्ड लगाकर जिले और आसपास के प्रमुख पर्यटन स्थलों, पहुंच मार्ग, दूरी तथा पर्यटन स्थलों की जानकारी प्रदर्शित करने के निर्देश दिए थे। जिससे कि सांची भ्रमण हेतु आने वाले पर्यटकों को अन्य स्थलों की भी जानकारी हो।इसके अतिरिक्त कर्क रेखा स्थल पर सेल्फी प्वाइंट बनाने तथा पर्यटन की दृष्टि से और अधिक विकसित करने के भी निर्देश भी दिए गए।उन्होंने सतधारा में सुरक्षित पर्यटन के लिए सोलर एनर्जी से संचालित होने वाले सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने के संबंध में चर्चा की। साथ ही सतधारा में जगह-जगह बोर्ड लगाकर इमरजेंसी नम्बर प्रदर्शित किए जाने के भी निर्देश दिए गए थे। लेकिन अभी तक इस संबंध में स्तूप परिसर क्षेत्र में कोई भी कैमरे नही लगाए गए हैं।
सतधारा स्तूप क्षेत्र में नही है बिजली की व्यवस्था--भोपाल-विदिशा स्टेट हाईवे 18 रोड से सतधारा स्तूपों की दूरी लगभग 5 किलोमीटर है। यहां पर जाने के लिए 1 करोड़ रुपए की लागत से नहर से लगकर सीसी रोड डाला गया था। वह भी जगह जगह से खराब हो गया है। वहीं सतधारा स्तूप परिसर में बिजली लाइट की व्यवस्था नही है। यहां पर रात भर सिर्फ कुछ सोलर लाइट के भरोसे सुरक्षा व्यवस्था की जाती है। पर्यटन विभाग को इस और ध्यान देकर सतधारा स्तूप क्षेत्र की व्यवस्थाएं बेहतर करनी चाहिए।
भोपाल विदिशा मुख्यमार्ग से 5 किमी की दूरी पर स्तिथ हैं सतधारा के स्तूप---सतधारा स्तूप की प्रसिद्धि और यहां सुविधाओं के नाम पर कोई ठोस प्रयास नहीं किया जा रहा है। विडंबना यह है कि वह पूरातत्व विभाग सतधारा के स्तूपों का अच्छे से प्रचार-प्रसार नहीं कर रहा है। वहीं यूनेस्को द्वारा प्रदत राशि से किया गया निर्माण कार्य भी संतोषजनक नहीं है। वर्ष 99 में हुए इस जीणोद्धार के बाद जनवरी 2005 में यूनेस्को के पुरा-विशेषज्ञों के दल ने इस पर असंतुष्टि जताते हुए इस को तोड़कर दोबारा निर्माण करने के निर्देश दिए थे। एक विचित्र स्थिति यह भी है कि उक्त भूमि पहले वन विभाग के अधीन थी। काफी समय बाद में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पास ट्रांसफर हुई है। यहां बिजली, संचार एवं अन्य आवश्यक व्यवस्थाओं के नाम पर कुछ भी नहीं है। यहां आने के लिए करोडों रुपए की राशि का सड़क मार्ग भी नया बनाया गया था। लेकिन वह भी अब जगह-जगह से खराब हो चुका है। उसके बाद भी पर्यटक यहां आने में असमर्थ होते हैं। इसलिए सांची से अधिक सुंदर इस स्थान को ना तो प्रसिद्धि मिल पा रही है। और और ना ही पर्यटन की दृष्टि से कोई लाभ हो पा रहा है। पुरातत्व विभाग द्वारा प्रशासन को कई बार पत्र लिखे जाने के बावजूद भी यहां पर व्यवस्थाएं नहीं सुधरी है।
272-238 ईसा पूर्व सम्राट अशोक ने सतधारा में बनवाया था ईंटो का स्तूप--
हलाली नदी के दाएं किनारे पहाड़ी पर स्थित बौद्ध स्मारक सताधारा की खोज ए कन्धिम ने की थी। मौर्य सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए स्तूप का निर्माण कराया था। इस स्थल पर छोटे-बड़े कुल 27 स्तूप, दो बौद्ध बिहार तथा एक चैत्य है। वर्ष 1989 में इस स्मारक को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित किया गया। ईसा पूर्व 272-238 में सम्राट अशोक ने सांची स्तूप निर्माण के समय ही सतधारा में ईंटों का स्तूप बनवाया था। यहां मौजूद वैदिक स्तंभ में कमल पुष्प, आलेख सिंह, वेष्टित वृक्ष, मानवाकृति आदि अलंकरण सहित दानदाताओं के कई अभिलेख भी हैं। उत्खनन के दौरान बौद्ध सारिपुत्र तथा महागोपालन के अस्थि अवशेष मिले। यहां शैलाश्रय में बौद्ध का व्यक्ति चित्र, आठ स्तूप, बारह बिहार और एक मंदिर है। यह स्थान मौर्य काल में विकसित हुआ और गुप्त काल से इसकी उपेक्षा शुरू हुई।
इनका कहना है।
सतधारा स्तूप क्षेत्र में बिजली की व्यवस्था नही है। यहां पर लाइट भी सोलर वाली लगाई गई हैं। 4 दिन पहले कलेक्टर साहब ने मीटिंग में सतधारा स्तूप परिसर में सीसीटीवी लगाने के निर्देश दिए थे। जब मैने उन्हें बताया कि यहां पर बिजली की व्यवस्था ही नही है। तो फिर उन्होंने वन विभाग को कैमरे लगाने के निर्देश दिए हैं।
संदीप महतो, स्तूप प्रभारी सांची सतधारा।
वरिष्ठ अधिकारियों के दिशा निर्देशन के चलते सतधारा स्तूप क्षेत्र में पुलिस बल को भेजकर सुरक्षा संबंधी व्यवस्थाओं का जायज़ा लिया गया है। यहां पर तैनात कर्मचारियों की संख्या और उनके नम्बर वगैरह लेकर समझाईश भी दी गई है।
दिनेश सिंह रघुवंशी, थाना प्रभारी सलामतपुर।