सतीश मैथिल सांचेत रायसेन। IND28.COM

शनि जयंती कब है षटदर्शन साधु समाज के अध्यक्ष महंत बाबा कन्हैया दास जी महाराज ने बताया शुभ संयोग, मुहूर्त और पूजा विधि शनि जयंती के उपलक्ष में मरघटिया महावीर मंदिर पर विशाल भंडारा होगा। इस वर्ष शनि जयंती पर शोभन योग का निर्माण होने जा रहा है। शनि जयंती यानी ज्येष्ठ अमावस्या की तिथि पर सावित्री व्रत भी है। इस के अलावा शनि जयंती के दिन शनिदेव स्वयं की राशि कुंभ में विराजमान रहेंगे। शनिदेव का जन्म हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को हुआ था। 

वैदिक ज्योतिष शास्त्र में शनिदेव को न्याय और कर्म का देवता माना गया है। शनिदेव व्यक्ति को अच्छे और बुरे कर्मों के अनुसार ही शुभ या अशुभ फल प्रदान करते हैं। शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या और महादशा काफी प्रभावी होती है। शनिदेव का नाम आते ही लोग काफी डर जाते हैं। शनि सभी ग्रहों में सबसे मंद गति से चलने वाले ग्रह हैं। शनिदेव भगवान सूर्य और माता छाया के पुत्र हैं। शनिदेव का जन्म हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को हुआ था। शनि जयंती पर शनिदेव की कृपा पाने के लिए लोग इस दिन लोगों उनकी पूजा अर्चना करते हैं। इस बार शनि जयंती 19 मई 2023 को मनाई जाएगी। षट दर्शन साधु समाज के अध्यक्ष बाबा महंत कन्हैया दास जी महाराज बताते हैं  इस बार शनि जयंती पर किसी तरह का योग बन रहा है। 

शनि जयंती तिथि------ 

वैदिक पंचांग के अनुसार इस बार अमावस्या तिथि की शुरुआत 18 मई को रात 09 बजकर 42 मिनट से होगी और जिसका समापन 19 मई को रात 9 बजकर 22 मिनट पर होगा। उदयातिथि के अनुसार इस साल शनि जयंती 19 मई को मनाई जाएगी।

शनि जयंती शुभ योग-------- 

इस वर्ष शनि जयंती पर शोभन योग का निर्माण होने जा रहा है। शनि जयंती यानी ज्येष्ठ अमावस्या की तिथि पर सावित्री व्रत भी है। इस के अलावा शनि जयंती के दिन शनिदेव स्वयं की राशि कुंभ में विराजमान रहेंगे। 19 जनवरी को चंद्रमा- गुरु मेष राशि में मौजूद रहें जिसके कारण गजकेसरी योग बनेगा। ऐसे में शनि जयंती के दिन शनिदेव की पूजा और दान का विशेष महत्व होगा। 

शनि जयंती पूजा विधि------- 

ऐसी मान्यता है कि शनिदेव की तिरछी द्दष्टि बहुत ही कष्टकारी होती है। शनि की तिरछी नजर से बचने के लिए शनि देव की उपासना का विशेष महत्व होता है। शनि जयंती पर उपाय करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं।  शनि भगवान की विशेष कृपा और सभी परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए शनि जयंती पर शनिदेव की पूजा-उपासना का विशेष महत्व होता है। शनि जयंती के मौके पर सुबह-सुबह अपने घर के आसपास स्थिति किसी शनि मंदिर जाकर भगवान शनिदेव की प्रतिमा को प्रणाम करते हुए सरसों के तेल से अभिषेक करें। शनिदेव को काले तिल, उड़द की दाल,नीले फूल और नीले वस्त्र अर्पित करते हुए तेल का दीपक जलाएं और ऊँ शं शनैश्चराय नम: मंत्र का जप करते रहें। इसके बाद शनिदेव की आरती करे और अंत में जरूरतमंदों को चीजों का दान करें।

शनि जयंती पर उपाय------

ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार शनि जयंती के मौके पर पीपल की जड़ में कच्चा दूध मिश्रित मीठा जल चढ़ाने व तिल या सरसों के तेल का दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है। शनि की साढ़ेसाती या ढय्या के चलते पीपल के पेड़ की पूजा करना और उसकी परिक्रमा करने से शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलती है। वहीं सुख-शांति में वृद्धि के लिए इस दिन पीपल का वृक्ष रोपना बहुत अच्छा माना गया है।शनिदेव के दिव्य मंत्र ‘ऊं प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:’ का इस दिन जप करने से प्राणी भयमुक्त रहता है।शनिदेव के आराध्य भगवान शिव हैं। शनि दोष की शांति के इस दिन शनिदेव की पूजा के साथ-साथ शिवजी पर काले तिल मिले हुए जल से 'ॐ नमः शिवाय'का उच्चारण करते हुए अभिषेक करना चाहिए।शनिदेव की प्रसन्नता के लिए जातक को शनिवार के दिन व्रत रखना चाहिए एवं गरीब लोगों की मदद करनी चाहिए,ऐसा करने से जीवन में आए संकट दूर होने लगते हैं।शनिदेव, हनुमानजी की पूजा करने वालों से सदैव प्रसन्न रहते हैं,इसलिए इनकी कृपा पाने के लिए शनि पूजा के साथ-साथ हनुमान जी की भी पूजा करनी चाहिए।

 

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