सतीश मैथिल सांचेत रायसेन। (IND28 NEWS हर खबर पर पैनी नज़र)

रायसेन तहसील के ग्राम डंडेरा में शासकीय एकीकृत माध्यमिक विद्यालय में पदस्थ शिक्षक राजेंद्र बघेल जो समय पर शाला पहुंचते हैं ओर बच्चों को अतिरिक्त क्लास के साथ योग भी कराते हैं। ओर बुधवार को वह बच्चों के लिऐ पुस्तक लेकर शाला पहुंचे।शिक्षक की भूमिका उस सीढ़ी जैसी है, जिसके जरिए लोग जीवन की ऊंचाइयों को छूते हैं। एक शिक्षक का स्थान माता पिता के बाद जरूर है, लेकिन ईश्वर से पहले आता है। माता-पिता, गुरु और फिर ईश्वर। जब बच्चे छोटे होते हैं या थोड़े बड़े हो रहे होते है तब शिक्षक उनके संज्ञानात्मक, भावनात्मक एवं सामाजिक विकास में बहुत हीं महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। संज्ञानात्मक विकास और शिक्षा किसी भी बच्चे के भविष्य के निर्माण में बहुत हीं महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। शिक्षक समाज का वह व्यक्ति है जो सदैव अच्छाईयों का पौधा तैयार करता है। बच्चों के विकास और समाज में शिक्षकों के महत्व पर संस्कारशाला में कुछ चुनिंदा शिक्षक से बात की गई जिसमें अधिकांश ने माना कि आज भी शिक्षक ही ऐसा पद है जिसे आम से लेकर खास तक सदैव सम्मान देता है। ऐसे में इस सम्मान को बचाए रखने के लिए सभी शिक्षकों को भी अपने दायित्वों का उचित तरीके से निर्वाह करना होगा। --शिक्षक सत्य मार्गदर्शन से समाज व संसार को नई दिशा दे सकते हैं। आधुनिक समाज में शिक्षकों की अहम भूमिका है। समाज में व्याप्त विसंगतियों का समाधान शिक्षक व छात्र द्वारा किया जा सकता है। बच्चों को पठन-पाठन के दौरान शारीरिक दंड नहीं दिया जाना चाहिए। इसका दुष्प्रभाव बच्चों के मानसिक पटल पर पड़ता है। अध्यापन कार्य प्रेम पूर्वक करना चाहिए, तभी समाज में बदलाव की बयार आ सकती है। अपने कर्तव्यों का निर्वाह निष्ठा व लगन से करना चाहिए। इसलिए कि आने वाले कल को हम संवारने का कार्य कर रहे हैं। समाज भी शिक्षक की ओर बड़ी आशा से देखता है। ऐसे में जो जो शिक्षक अपने दायित्वों से लापरवाही करते हैं वे समाज की नजरों से भी गिर जाते हैं।

राजेंद्र बघेल, शासकीय एकीकृत माध्यमिक विद्यालय, डंडेरा 

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एक शिक्षक खोज का केन्द्र अध्यापक होता है जो अपने विद्यार्थियों को शिक्षा के माध्यम से जीवन में व्यवहार में सच्चाई की शिक्षा देता है। छात्रों को जो भी कठिनाई होती है, जो भी जिज्ञासा होती है, जो भी वे जानना चाहते हैं, उन सब के लिए वे अध्यापक पर ही निर्भर रहते हैं। उनके लिए उनका अध्यापक एक तरह से ज्ञान का भंडार है, जिसके पास सभी प्रश्नों के उत्तर हैं। यदि शिक्षक के मार्गदर्शन में प्रत्येक व्यक्ति शिक्षा को उसके वास्तविक अर्थ में ग्रहण कर मानवीय गतिविधियों को प्रत्येक क्षेत्र में उसका प्रसार करता है तो मौजूदा इक्कीसवीं सदी में दुनिया काफी सुन्दर हो जाएगी। प्रगतिशील शिक्षण, छात्रों का बहुमुखी विकास, कक्षा अध्यापन की नवीन शैली, गुरु शिष्य के गौरवमयी रिश्ते, छात्रों का मानसिक, शारीरिक व धार्मिक विकास की बातें कोई भी छात्र अपने गुरु से ही सीखता है।

डीडी रजक रायसेन, जिला शिक्षा अधिकारी 

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शिक्षक को जीवन भर अध्ययन करते रहना चाहिए। उसे शिक्षण और बच्चों से प्रेम होना चाहिए। उसे न सिर्फ विषय की सैद्धान्तिक बातें पढ़नी चाहिए बल्कि छात्रों में हमारी महान सभ्यता की विरासत और सामाजिक मूल्यों की जमीन भी तैयार करनी चाहिए। आधुनिक प्रौद्योगिकी की सहायता से शिक्षक छात्रों का ऐसा विकास करे कि वे बिना किसी शिक्षक की सहायता लिए स्वयं सीखने में सक्षम हो सकें। ज्ञान प्राप्ति के लिए ¨चतन एवं कल्पना की स्वतंत्रता आवश्यक है और इसके लिए शिक्षक को उपयुक्त माहौल का निर्माण करना चाहिए। बच्चों को डांटने-फटकाने के बजाय सरल तरीके से पढ़ाना चाहिए। बच्चे की समझ में कोई विषय नहीं आने पर क्रोध के दौरान भी नियंत्रण रखना चाहिए।

करन सिंह राठौरिया सांचेत, सांचेत संकुल प्रभारी 

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बचपन ही वह आधारशिला है जिस पर जीवन की इमारत खड़ी होती है। जैसा बीज बचपन में बोया जाता है वैसा ही जीवन के वृक्ष में फल लगता है। इस लिए बचपन में दी जाने वाली शिक्षा कालेज या यूनिवर्सिटी में दी जाने वाली शिक्षा से अधिक महत्वपूर्ण होती है। शिक्षक का ध्येय बच्चों का चरित्र निर्माण करना तथा ऐसे मूल्यों को रोपना होना चाहिए जिससे कि उनके सीखने की क्षमता में वृद्धि हो। वे उनमें वह आत्मविश्वास पैदा करें कि छात्र कल्पनाशील और सृजनशील बन सके। इस रूप में छात्रों विकास ही उन्हें भविष्य की चुनौतियों का सामना करते हुए प्रतिस्पर्धा में उतारेगा। लगातार प्रयास करने पर बच्चे के अंदर छिपी प्रतिभा को निखारा जा सकता है। प्रथम प्रयास में ही सब कुछ ठीक ठाक हो जाए, ऐसा संभव नहीं होता है।

रघुवीर सिंह भदौरिया सांचेत,जन शिक्षक जिला अधिकारी।

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