सतीश मैथिल सांचेत रायसेन। IND28.COM

नए साल की पहली मासिक शिवरात्रि, साल 2023 का पहली माह शिवरात्रि 20 जनवरी को पड़ रही है पंडित अरुण शास्त्री ने वताया इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों को बहुत फल मिलता है तो पंडित अरुण शास्त्री बताते हैं.इसकी पूजा विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में बताते हैं।

नया साल शुरू हो गया है, हाल ही में लोहड़ी, पोंगल और संक्रांति जैसे त्योहार निकल गए हैं। गौरतलब है कि यह महीना पूजा और तपस्या का भी महीना है। बता दें कि साल 2023 की पहली मासिक शिवरात्रि माघ माह में है। इस माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि पड़ती है। इस शिवरात्रि के बाद ही महाशिवरात्रि आएगी। जिसका सभी शिव भक्त साल भर इंतजार करते हैं।शिवरात्रि की पूजा से सभी शिव भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है।

माघ मास में शिवरात्रि कब है--

पंडित अरुण शास्त्री के अनुसार मासिक शिवरात्रि यानी कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी 20 जनवरी को सुबह 09 बजकर 59 मिनट से शुरू होगी और इसका समापन 21 जनवरी को सुबह 6 बजकर 17 मिनट पर होगा।

माघ मास में शिवरात्रि का शुभ मुहूर्त--

जो भक्त माघ मास में शिवरात्रि का व्रत रखेंगे। वे भक्त 20 जनवरी की रात 12:05 बजे भगवान शिव की पूजा कर सकते हैं। इस पूजा का शुभ मुहूर्त देर रात 12 बजकर 59 मिनट तक है.जो भक्त रात्रि में पूजा नहीं करना चाहते वे माघ मास की शिवरात्रि की पूजा 20 जनवरी की सुबह से ही कर लें।

माघ मास में शिवरात्रि का महत्व--

मान्यता है कि भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करने से वे अपने भक्तों पर प्रसन्न हो जाते हैं. इस दिन ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करने और रात में शिव जी की पूजा करने से सभी दुख दूर होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है.इससे घर में सुख-समृद्धि आती है और सभी पापों से मुक्ति मिलती है।

माघ मासिक शिवरात्रि के दिन भद्रा--

माघ मासिक शिवरात्री पर भद्रा भी लग रही है. जो इसी दिन 9 बजकर 59 मिनट से शुरू होकर रात 08 बजकर 10 मिनट तक रहेगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पाताल की भद्रा का दुष्प्रभाव पृथ्वी पर नहीं पड़ता है और इस दिन आप शुभ कार्य कर सकते हैं और यह पाताल की भद्रा ही है।

माघ मास की शिवरात्रि की पूजा विधि--

सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और मंदिर की सफाई करें। उसके बाद मंदिर में दीपक जलाएं और फिर भगवान शिव को गंगाजल, दूध, फूल, वस्त्र, बेलपत्र और जल अर्पित करें। भगवान गणेश, माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करने के साथ ही भगवान शिव की चालीसा का पाठ करें और ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें।भगवान शिव को भोग लगाने के बाद भगवान की आरती करें।

 

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