-रायसेन जिले का यह गांव पक्षी के नाम से प्रसिद्ध

सलामतपुर रायसेन से अदनान खान की Exclusive Riport (एडिटर इन चीफ IND28.COM हर खबर पर पैनी नज़र)

भारत के कई ऐसे शहर हैं जो अपने प्राचीन इतिहास और राजा महाराजाओं के नाम से जाने जाते हैं लेकिन आज हम आपको मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के एक ऐसे गांव के बारे में बता रहे हैं जो एक पक्षी के नाम से प्रसिद्ध है और जाना जाता है। जी हां हम बात कर रहे है सांची जनपद के ग्राम गीदगढ़ की। मध्यप्रदेश में गिद्धों की गणना के पहले चरण का कार्य शुरू हो गया है। 16 से 18 फरवरी तक चलने वाली इस गणना में रायसेन वन मंडल के पूर्व, पश्चिम वन विभाग की अलग-अलग टीमों ने गिद्धों की गिनती की जा रही है। वहीं रायसेन जिले का एक ऐसा गांव है जो गिद्धों के नाम से जाना जाता है इस गांव का नाम है गीदगढ। गांव का नाम गिद्धों के नाम पर पढ़ने के पीछे का कारण है कि यहां पर बरसों पहले बड़ी संख्या में गिद्धों का वास हुआ करता था। इस कारण इस गाँव का नाम गीदगढ़ पड़ गया था। लेकिन धीरे-धीरे गिद्धों की तादाद कम हो गई उनके कम होने की वजह मवेशियों को ( डाइक्लोफ़ेनिक ) दर्द निवारक इंजेक्शन लगाना बताए जा रहा है। क्योंकि गिद्धों का भोजन मृत मवेशी होते हैं। यही कारण रहा है कि धीरे-धीरे इनकी तादाद कम होती चली गई, हालांकि विभाग ने बताया कि उस इंजेक्शन पर सर्वे के बाद रोक लगा दी गई थी। इसलिए ही अब इन गिद्धों की तादाद बड़ने लगी है। और इनकी संख्या लगभग 300 के आसपास बताई जा रही है।

रायसेन जिले में गिद्धों की तीन प्रजाति पाई जाती हैं---गिद्धों के संरक्षण के लिए उनके नेटिंग साइट को पहचान कर उनका संरक्षण किया जाता है।गणना अनुसार गिद्धों की संख्या में बढ़ोतरी होने के संकेत मिले हैं।अभी तक की गिनती में 300 से ज्यादा गिद्ध मिले हैं। रायसेन वन मंडल के डीएफओ विजय कुमार ने बताया कि वन मंडल रायसेन के अंतर्गत आने वाले पूर्व, पश्चिम,और सिलवानी वन परिक्षेत्र के कुछ क्षेत्रों में गिद्धों का प्राकृतिक आवास है।यहां पर गिद्ध की कुल तीन प्रजातियां पाई जाती हैं। 30 से ज्यादा वन विभाग स्टाफ गणना कर रहा है।

इनका कहना है।

गीदगढ़ गांव का गीदगढ़ इसलिए पड़ा क्योंकि यहां के पहाड़ और गांव में गिद्धराज बहुत ही ज़्यादा संख्या में पाए जाते हैं। पहले यहां पर लगभग एक हज़ार से बारह सौ गिद्ध हुआ करते थे। लेकिन इनकी संख्या समय के साथ अब कम हो गई है। यहां पर कई प्रजाति के गिद्ध पाए जाते हैं।

प्रताप शर्मा, स्थानीय ग्रामीण गीदगढ़।

हमारे बुज़ुर्ग बताते हैं कि गांव का नाम 1965 से ही गीदगढ़ इसलिए रखा गया है कि यहां पर गिद्ध बहुत ज़्यादा संख्या में पाए जाते हैं। यह मरे हुए मवेशियों को खाकर अपना पेठ भरते हैं।

वृंदावन शर्मा, स्थानीय ग्रामीण गीदगढ़।

पूरे प्रदेश भर में 16,17 और 18 फरवरी तीन दिन गिध्दों की गणना की जा रही है। जिसमें सुबह सुबह स्टॉफ सभी वन क्षेत्रों में जहां पर गिद्ध पाए जाते हैं वहां जाते हैं। और वहां जाकर कितने वयस्क, अवयस्क और कौन सी नस्ल के गिद्ध हैं उनका डेटा कलेक्ट करते हैं। 16 फरवरी तक कि गणना में तीन प्रजाति के गिद्ध पाए गए हैं। जिनकी संख्या 226 प्राप्त हुई है। अभी गणना जारी है। हमें उम्मीद है कि यह संख्या 300 से लेकर 400 तक पहुंच जाएगी।

विजय कुमार,डीएफओ ज़िला रायसेन।

 

न्यूज़ सोर्स : अदनान खान एडिटर इन चीफ IND28.COM