संतो की तपोभूमि पर स्तिथ प्राचीन बावड़ी उपेक्षा की शिकार नहीं ले रहे सुध
-प्राचीन बावड़ी से मां हिंगलाज दुर्गा मठ तक स्तिथ है एक 500 मीटर लंबी गुप्त सुरंग
सतीश मैथिल सांचेत रायसेन। (IND28 हर खबर पर पैनी नज़र)
आज देखा जाए तो हर जगह हर धार्मिक स्थल पर भक्तों का तांता लगता है। और हर प्राचीन जगह को शासन द्वारा ट्रस्ट में लेकर उस जगह पर हर एक सुबिधा उपलब्ध कराई जाती है। देखने को मां कंकाली मन्दिर बिलखिरिया और मां छोले वाली मैय्या मन्दिर खंडेरा यहां पर रोज सैकडों भक्तों का आना जाना लगा रहता है।इसी तरह यहां पर स्तिथ मां हिंगलाज दुर्गा मठ जो कि जिले में माँ हिंगलाज के दो ही स्थान हैं। जिसमें एक बाड़ी दूसरा सांचेत में स्थित हैं मां हिंगलाज माता मठ ओर प्राचीन बावड़ी दोनों का स्वामी नरहरि महाराज द्वारा निर्माण किया गया था। प्राचीन बावड़ी से मां हिंगलाज दुर्गा मठ तक एक गुप्त सुरंग है जो कि करीब 500 मीटर लंबी है इस ही रास्ते से स्वामी नरहरि महाराज जी मां हिंगलाज की पूजा करने बावड़ी से मां हिंगलाज मठ तक आया करते थे।
उपेक्षा की शिकार है सांचेत में स्तिथ संतो की धरोहर पर 1100 वर्ष पुरानी प्राचीन बावड़ी--अगर इसकी मरम्मत करवाई जाए तो संतो की तपोभूमि फिर से प्रसिद्ध होगी शासन प्रशासन से क्षेत्रवासियों ने आवाज़ उठाते हैं कहा है कि पुरातत्व विभाग को लेना चाहिए बावड़ी की सुध।क्षेत्र में स्थित 1100 वर्ष पुरानी प्राचीन बावड़ी इन दिनों अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है, लेकिन इस प्राचीन धरोहर की सुध लेने वाला कोई नहीं है। ऐसे में बावड़ी का अस्तित्व धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है। महंत प्रहलाद गिरी ने बताया 1100 वर्ष पुरानी बावड़ी का निर्माण करने वाले संत स्वामी नरहरि गिरी महाराज ने की थी, उनकी समाधि वर्तमान में यहां मौजूद है। दिव्य एवं भव्य समाधि, जो आज भी दूर से नजर आती है। यहां कोई भी भक्त सच्ची श्रद्धा से मनोकामना लेकर आता है, तो उसकी मनोकामना पूर्ण होती है। पुरातत्व विभाग को प्राचीन धरोहर को संभाल कर रखना चाहिए जोकि जिले का नाम रोशन करते हैं जिले के अंदर ऐसे बहुत कम स्थान होंगे जिसमें सैकड़ों वर्ष पूर्व बनी प्राचीन बावड़ी आज जर्जर हो रही है ऐसा बताते हैं कि प्राचीनकाल में राजा रायसिंह जिनके कोई संतान नहीं हो रही थी। राजा को कि सी ने यहां आने की बात कहीं, जिस पर राजा राय सिंह स्वामी नरहरि महाराज के पास आए और अपनी समस्या बताई। गुरुजी ने उन्हें आर्शीर्वाद दिया, जिसके फलस्वरूप कुछ दिनों बाद राजा के घर एक बालक का जन्म हुआ। राजा ने प्रसन्न होकर अपना महल सब कुछ महंत को दान करने को कहा पर महंत नरहरी महाराज ने मना कर दिया। आज भी बावड़ी महिमा दूर-दूर विख्यात है।सांचेत से अंडोल रोड़ से बावड़ी तक सीसी रोड का निर्माण होना जरूरी है बरसात के दिनों में बावड़ी तक जाने में कीचड़ समस्या बनती है।
इनका कहना है।
पूरी होती है मनोकामना।
यहां पर जो भी भक्त आते हैं, उसकी मनोकामना पूरी होती है। संत नरहरि महाराज की समाधी है, उन्होंने यही पर समाधि ली थी, जो भी भक्त सच्ची श्रद्धा से जो मांगता है।उसकी मनोकामना पूरी हो जाती है।
महंत प्रहलाद गिरी महाराज, दुर्गा मठ।
दूर-दूर से आते हैं लोग--
बावड़ी के ऊपर शिवजी का मंदिर बना हुआ है। सावन के महीने में यहां भक्त दूर-दूर से आते है। विशाल मंदिर में शिवजी के दर्शन कर उनसे आशीर्वाद लेते हैं।
कल्याण सिंह लोधी, सरपंच सांचेत।
आस्था का केंद्र शिव मंदिर
बावड़ी बहुत प्राचीन है। यहां बड़ी संख्या में साधु-संत और अन्य लोग पहुंचते हैं। हमारे क्षेत्र का यह स्थल आस्था का केंद्र है।
बाबूलाल लोधी, उपसरपंच सांचेत।
बावड़ी की देखरेख होना चाहिए।
बावड़ी काफी प्राचीन है। बारिश के मौसम में यहां आने में लोगों को समस्या होती है। पुरातत्व विभाग को इस ओर ध्यान देना चाहिए।
मलखान सिंह कुशवाह, सांचेत ग्रामवासी।