-5 साल की गारंटी वाली सीएम सड़क गारंटी पूरी होते ही टूटकर धंसकी

-ठेकेदार ने सड़क का किया है घटिया निर्माण, जिसके चलते बने हुए हैं ऐसे हालात

अदनान खान सलामतपुर रायसेन। (एडिटर इन चीफ IND28 हर खबर पर पैनी नज़र)

पर्यटन स्थल सतधारा स्तूप पहुंचने के लिए मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत 1 करोड़ 22 लाख रुपए से अमोदा से सतधारा स्तूप मार्ग तक सड़क का निर्माण किया गया था। सड़क का एक हिस्सा गारंटी पूरी होते ही धसककर टूट गया है। जिसकी वजह से सतधारा स्तूप जाने वाले पर्यटकों की जान को खतरा है। क्योंकि सड़क छतिग्रस्त हो चुकी है और वह टूरिस्ट बस का वजन नही झेल पाएगी। और कभी भी यहां पर गंभीर हादसा हो सकता है। इस सड़क का निर्माण 1 सितंबर 18 से शुरू हुआ था। और इसकी गारंटी अवधि 1 सितंबर 23 को पूरी हो चुकी है। मार्ग में 1.679 लंबाई में डामरीकरण किया गया है और इतनी ही लंबाई में सीसी रोड बनाई गई है। इसी मार्ग से नरोदा और मुल्लिखेड़ी गांव के ग्रामीण भी आवागमन करते हैं। गौरतलब है कि प्रदेश में बौद्ध स्तूपों की बात हो तो सांची के अलावा दूसरा नाम ही नहीं सूझता जबकि यही खासियत सतधारा स्तूप की भी है। सतधारा स्तूप भोपाल-विदिशा स्टेट हाईवे 18 रोड से  अंदर की और हैं। यहां पर जाने के लिए 1.22 करोड़ रुपए की लागत से नहर से लगकर रोड डाला गया था। वह भी घटिया निर्माण के चलते जगह जगह से खराब हो गया है। और इसे राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों में शामिल तो किया गया है। लेकिन प्रचार प्रसार के अभाव के चलते ये बौद्ध स्तूप वीरान पड़े हुए हैं। वहीं वर्ष 92 में यूनेस्को द्वारा यहां के विकास के लिए सर्वप्रथम 50 लाख रुपए की राशि दी गई थी। जिससे मात्र एक बाहरी दीवार व सीढ़ियां बनाई गईं और इस निर्माण पर भी यूनेस्को ने आपत्ति दर्ज कराई थी। उसके बाद कई बार करोडों रुपए की राशि यहां के विकास के लिए आई। और उस राशि से सतधारा बौद्ध स्तूप क्षेत्र में कई विकास कार्य करवाए गए हैं। उसके बाद भी सतधारा बौद्ध स्तूपों को सांची जैसी प्रसिद्ध नही मिल पाई। 

भोपाल विदिशा मुख्यमार्ग से 7 किमी की दूरी पर स्तिथ हैं सतधारा के स्तूप-- सतधारा स्तूप की प्रसिद्धि और यहां सुविधाओं के नाम पर कोई ठोस प्रयास नहीं किया जा रहा है। विडंबना यह है कि वह पूरातत्व विभाग सतधारा के स्तूपों का अच्छे से प्रचार-प्रसार नहीं कर रहा है। एक विचित्र स्थिति यह भी थी कि उक्त भूमि पहले वन विभाग के अधीन थी। काफी समय बाद में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पास ट्रांसफर हुई है। यहां बिजली, संचार एवं अन्य आवश्यक व्यवस्थाओं के नाम पर कुछ भी नहीं है। यहां आने के लिए करोडों रुपए की राशि का सड़क मार्ग भी नया बनाया गया था। लेकिन वह भी अब जगह-जगह से खराब हो चुका है। उसके बाद भी पर्यटक यहां आने में असमर्थ होते हैं। इसलिए सांची से अधिक सुंदर इस स्थान को ना तो प्रसिद्धि मिल पा रही है। और और ना ही पर्यटन की दृष्टि से कोई लाभ हो पा रहा है। पुरातत्व विभाग द्वारा प्रशासन को कई बार पत्र लिखे जाने के बावजूद भी यहां पर व्यवस्थाएं नहीं सुधरी है।

272-238 ईसा पूर्व सम्राट अशोक ने सतधारा में बनवाया था ईंटो का स्तूप--हलाली नदी के दाएं किनारे पहाड़ी पर स्थित बौद्ध स्मारक सताधारा की खोज ए कन्धिम ने की थी। मौर्य सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए स्तूप का निर्माण कराया था। इस स्थल पर छोटे-बड़े कुल 27 स्तूप, दो बौद्ध बिहार तथा एक चैत्य है। वर्ष 1989 में इस स्मारक को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित किया गया। ईसा पूर्व 272-238 में सम्राट अशोक ने सांची स्तूप निर्माण के समय ही सतधारा में ईंटों का स्तूप बनवाया था। यहां मौजूद वैदिक स्तंभ में कमल पुष्प, आलेख सिंह, वेष्टित वृक्ष, मानवाकृति आदि अलंकरण सहित दानदाताओं के कई अभिलेख भी हैं। उत्खनन के दौरान बौद्ध सारिपुत्र तथा महागोपालन के अस्थि अवशेष मिले। यहां शैलाश्रय में बौद्ध का व्यक्ति चित्र, आठ स्तूप, बारह बिहार और एक मंदिर है। यह स्थान मौर्य काल में विकसित हुआ और गुप्त काल से इसकी उपेक्षा शुरू हुई।

इनका कहना है।

अमोदा से सतधारा स्तूप तक लगभग 3.358 लंबाई की मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत 1 .22 करोड़ लागत से पांच वर्ष गारंटी के तहत ठेकेदार संतोष कुमार राय द्वारा बनाई गई थी। पिछले वर्ष सड़क की गारंटी समाप्त हो गई थी। शुक्रवार शनिवार की रात्रि में नहर के पास से सीसी सड़क का एक बड़ा हिस्सा टूट गया है। जिसकी वजह से स्तूप आने वाले पर्यटकों की जान को खतरा है।

जसवंत तोमर, ग्रामीण गाडरखेड़ी।

मेने पिछले वर्ष ही ठेकेदार से सड़क को मरम्मत करने का बोला था। लेकिन ठेकेदार ने कोई सुनवाई नही की। मरम्मत नही करने की वजह से रात में सीसी सड़क की पिचिंग बारिश में बह गई। और नहर के पास से सड़क का बड़ा हिस्सा टूट गया। पर्यटकों के साथ ही ग्रामीणों बड़ी संख्या में इस मार्ग का उपयोग करते हैं। हादसे की आशंका है।

दशरथ सिंह राजपूत, पूर्व सरपंच ग्राम नरोदा।

करोड़ों रुपए लागत की सड़क का घटिया निर्माण किया गया था। गारंटी पूरी होते ही सड़क कई स्थानों पर छतिग्रस्त हो गई है। शिकायत के बाद भी ज़िम्मेदार इस और ध्यान नही दे रहे हैं। शासन प्रशासन से मांग है कि शीघ्र ही सड़क की मरम्मत की जाए।

ज्ञान सिंह राजपूत, ग्रामीण मुल्लीखेड़ी।

न्यूज़ सोर्स : अदनान खान एडिटर इन चीफ IND28