सतीश मैथिल सांचेत रायसेन। (IND28.COM हर खबर पर पैनी नज़र)

बुधवार से वैशाख माह प्रारंभ हो गया है। पंडित अरुण शास्त्री बताते हैं कि इसका महत्व और नियम स्कंद पुराण के अनुसार वैशाख मास को ब्रह्मा जी ने सब मासों में श्रेष्ठ बताया है। इस महीने में महीरथ नामक राजा ने वैशाख स्नान से ही बैकुंठधाम की प्राप्ति कर ली थी। पुराणों में इस मास को जप, तप, दान का महीना कहा गया है।वैशाख मास सब प्राणियों की मनोकामना को सिद्ध करता है वैशाख माह 24 अप्रैल, बुधवार से शुरू हो गया है वैशाख मास के प्रारम्भ होते ही तपिश का वातावरण तैयार हो जाता है इसलिए धार्मिक दृष्टिकोण से इस माह विशेष में वरुण देवता का विशेष महत्त्व होता है।

वैशाख मास का महत्व---धर्म, अर्थ, यज्ञ, क्रिया और तपस्या का सार वैशाख मास सम्पूर्ण देवताओं द्वारा पूजित है। वह माता की भांति सब जीवों को सदा अभीष्ट वास्तु प्रदान करने वाला है। धार्मिक मान्यता है कि जैसे सतयुग के समान कोई दूसरा युग नहीं, वेदों के समान कोई शास्त्र नहीं, गंगा के समान कोई तीर्थ नहीं उसी भांति वैशाख मास के समान कोई महीना नहीं है। जैसे विद्याओं में वेद विद्या, मंत्रों में प्रणव, वृक्षों में कल्पवृक्ष, धेनुओं में कामधेनु, देवताओं में विष्णु, वर्णों में ब्राह्मण, प्रिय वस्तुओं में प्राण, नदियों में गंगाजी, तेजों में सूर्य,अस्त्र-शास्त्रों में चक्र,धातुओं  में सुवर्ण, वैष्णवों में शिव तथा रत्नों में कौस्तुभमणि है,उसी प्रकार धर्म के साधन भूत महीनों में वैशाख मास सबसे उत्तम है। संसार में इसके समान भगवान विष्णु को प्रसन्न करनेवाला दूसरा कोई मास नहीं है। एक प्रसंग के अनुसार जब  एक बार राजा अंबरीश दीर्घकाल तक तप के बाद गंगा तीर्थ की ओर जा रहे थे।मार्ग में उन्हें देवर्षि नारद जी के दर्शन हुए। विनयपूर्वक राजा ने देवर्षि से प्रश्न किया-''देवर्षि। ईश्वर ने प्रत्येक वस्तु में किसी श्रेष्ठ कोटी की रचना की है। लेकिन मासों में कौन सा मास सर्वश्रेष्ठ है ?''। इस पर नारद जी ने कहा-जब समय विभाजन हो रहा था, उस समय ब्रह्मा जी ने वैशाख मास को अत्यंत पवित्र सिद्ध किया है। वैशाख मास सब प्राणियों की मनोकामना को सिद्ध करता है।

वैशाख मास के नियम---भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए इस महीने में सूर्योदय से पूर्व स्नान करना चाहिए। पुराणों के अनुसार वैशाख के महीने में भगवान विष्णु की आज्ञा से जनकल्याण हेतु जल में समस्त देवी-देवता निवास करते हैं।वैशाख मास में स्नान-दान का विशेष महत्व है। इसलिए इस मास में जल का दान करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है और जीवन में आ रही परेशानियां दूर हो जाती हैं।इस माह में गर्मी चरम पर होती है। इसलिए इस मास में छायादार वृक्ष की सेवा, गर्मी से त्रस्त व्यक्ति की सहायता या चप्पल, प्याऊ आदि का दान करने से भी व्यक्ति को देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलता है।यह महीना संयम, अहिंसा, आध्यात्म, स्वाध्याय और जनसेवा का महीना है।अतःसेवा किसी भी रूप में हो अधिक से अधिक करनी चाहिए।विशेष रूप से इस माह में धूम्रपान, मांसाहार, मदिरापान एवं परनिंदा जैसी बुराईयों से बचना चाहिए। भगवान विष्णु की सेवा तथा उनके सगुण या निर्गुणं स्वरूप का अनन्य चित्त से ध्यान करना चाहिए।

न्यूज़ सोर्स : IND28.COM हर खबर पर पैनी नज़र