सतीश मैथिल सांचेत रायसेन। (IND28 हर खबर पर पैनी नज़र)

ज्योतिष मार्तंड पंडित प्रवीण राजौरिया वृंदावन धाम वालों ने बताया की हर साल आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि के दिन गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। इस दिन शिष्य अपने गुरुओं का पूजन करते और उन्हें इस दिन की शुभकामनाएं देते हैं।

धर्म पुराणों के अनुसार आषाढ़ माह की पूर्णिमा के दिन ही महर्षि वेद व्यास जी का जन्म हुआ था और उनके जन्मोत्सव को गुरु पूर्णिमा के तौर पर मनाया जाता है।ज्योतिष मार्तंड पंडित प्रवीण राजौरिया वृंदावन धाम वालो ने बताया कि महर्षि वेद व्यास केवल महाभारत के ही रचियता नहीं, बल्कि उन्होंने हिंदू धर्म के चारों वेदों की भी रचना की है। इसलिए उन्हें दुनिया का पहला गुरु कहा गया है और गुरु पूर्णिमा के दिन उनका विधि-विधान से पूजन किया जाता है।

गुरु पूर्णिमा तिथि---पंचांग के अनुसार इस साल आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि 20 जुलाई को शाम 6 बजे शुरू होगी और 21 जुलाई को दोपहर 3 बजकर 47 मिनट पर समाप्त होगी।पूर्णिमा के दिन चंद्रमा का पूजन किया जाता है और इसलिए इस साल गुरु पूर्णिमा 20 जुलाई को मनाई जाएगी। व्रत रखने वाले जातकों के लिए 20 जुलाई का दिन महत्वपूर्ण है। जबकि गंगा में स्नान व दान के लिए 21 जुलाई को दिन शुभ रहेगा। ऐसे में इस बार 20 और 21 जुलाई दोनों दिन गुरु पूर्णिमा मनाई जाएगी। इस दिन स्नान व दान का विशेष महत्व माना गया है। कहते हैं कि इस दिन यदि गंगा में स्नान के बाद अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान किया जाए तो जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

सर्वार्थ सिद्ध योग में गुरु पूर्णिमा के दिन बन रहा शुभ संयोग---पंडित राजौरिया जी ने बताया कि 21 जुलाई को सुबह 7 बजकर 19 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त है।21 जुलाई को सर्वार्थ सिद्धि योग का भी निर्माण हो रहा है जिसे बहुत ही शुभ माना जाता है। पंचांग के अनुसार यह योग सुबह 5 बजकर 27 मिनट से लेकर 22 जुलाई को सुबह 12 बजकर 14 मिनट तक रहेगा।

गुरु पूर्णिमा की पूजा----गुरु पूर्णिमा के अवसर पर आपको अपने गुरुजनों की पूजा करनी चाहिए। कहा जाता है कि गुरु के ज्ञान के बिना अंधकार से पार पाना मुश्किल है क्योंकि गुरु ही एक व्यक्ति का सच्चा मार्गदर्शक होता है, जो बिना किसी लोभ और द्वेष के अपने शिष्य का हित करता है।गुरु पूर्णिमा के दिन आप अपने गुरु को घर पर आमंत्रित करें। उनको भोजन कराएं, या उनके घर आश्रम में जाकर उनके दिए ज्ञान के लिए आभार जताएं।उनकी सेवा करें और कुछ उपहार दें। गुरु पूर्णिमा पर्व पर आप चाहें तो देव गुरु बृहस्पति की भी पूजा कर सकते हैं, वे देवताओं के गुरु हैं। उनके आशीर्वाद से ही आपको ज्ञान की प्राप्ति होगी।जिनकी कुंडली में गुरु कमजोर होता है, उनको शिक्षा प्राप्त करने में कठिनाई होती है। अत: गुरु ग्रह या नारायण की पूजा करें। आप चाहें तो अपने इष्ट देवता या माता-पिता को गुरु रूप में मानकर उनकी पूजा करें।

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