सतीश मैथिल सांचेत रायसेन। (IND28 हर खबर पर पैनी नज़र)

कस्बा सांचेत से गुरुवार की सुबह पांच सदस्यीय भक्त अपनी मनोकामना लेकर 6 किलोमीटर पैदल मां छोले बाली मैया के दरबार खंडेरा पहुंचे। पैदल जा रहे भक्त हिरेंद लोधी अरुण लोधी ने बताया कि 

खंडेरा स्थित प्रसिद्ध देवी मंदिर नवरात्रि के दिनों में जिले के हजाराें श्रद्धालुओं के लिए विशेष आस्था का केंद्र बना जाता है। इन नौ दिनों में मंदिर में हजारों ध्वज और चुनरियां देवी को अर्पित की जाती हैं। वहीं दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है।ओर इसी क्रम में आज हम अपनी मनोकामना लेकर मां के दरबार पैदल यात्रा कर आए हैं। पैदल यात्रा करने बालों भक्तों में हिरेंद्र में अरुण लोधी सुरेंद्र लोधी विजय लोधी आयुष लोधी मां के दरबार अपनी मनोकामना लेकर पहुंचे।

मंदिर के पुजारी दिनेश दुबे ने बताया की 

दिसंबर में होता है अखंड रामायण, यज्ञ और मेला।

खंडेरा माता मंदिर में 4 से 12 दिसंबर तक मंदिर में अखंड रामायण और यज्ञ कराया जाता है। वहीं इन दिनों मंदिर परिसर में मेला भी लगता है। नवरात्रा के दिनों में यहां श्रद्धालु करीब तीन हजार से अधिक झंडे और 12 किलोमीटर लंबी चुनरी सहित सैकड़ों चुनरी देवी को अर्पित की जाती हैं। यहां भंडारे भी रखे जाते हैं।

होली की दूज पर होता है विशेष पूजन--होली की दूज पर पूरे गांव के लोग वहां बकरी के बच्चे को लेकर पूजन करने जाते हैं। इस बच्चे पर जल छिड़कर मंदिर परिसर में छोड़ दिया जाता है। यदि यह बच्चा फुरहरी लेता है तो ऐसा माना जाता है कि देवी ने पूजन स्वीकर कर ली। इसके बाद बकरी के बच्चे की बली दी जाती है। इसके बाद मृत बच्चा और उसके खून काे खप्पर में भरकर एक चबूतरे पर रख दिया जाता है। दूसरे दिन चबूतरे पर खून से बने शेर के पंजे के निशान देखने को मिलते है। यदि ये निशान नहीं दिखाई दिए तो हलवा को भोग मंदिर में लगाया जाता है। इस खास दिन पूरे गांव में धार वाले हथियार से कोई काम नहीं किया जाता ।

न्यूज़ सोर्स : IND28 हर खबर पर पैनी नज़र