-सांची विश्वविद्यालय में योग शिविर का चौथा दिन

-सलामतपुर के गांवों में होंगे योग जागरुकता कार्यक्रम

अदनान खान सलामतपुर रायसेन। (एडिटर इन चीफ IND28 हर खबर पर पैनी नज़र)

साँची बौद्ध भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के सलामतपुर के आस-पास के गावों में योग के जागरूकता शिविर आयोजित करेगा ताकि लोग अधिक से अधिक स्वास्थ्य लाभ ले सकें। सांची विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. वैद्यनाथ लाभ ने विश्वविद्यालय के योग विभाग से कहा है कि वह आस-पास के गांवों से शुरुआत करे और लोगों को आसनों में पारंगत करे। योग जागरुकता कार्यक्रम के तहत योग विभाग के छात्र-छात्राएं गांवों में जाएंगे और ग्रामीणों को स्वस्थ रहन-सहन के साथ-साथ योग भी सिखाएंगे। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित ध्यान शिविर के चौथे दिवस बताया गया कि ध्यान करने के लिए चेतना को किस प्रकार से विकसित किया जाए। विश्वविद्यालय के योग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. उपेंद्र बाबू खत्री ने बताया कि चेतना को अनुभव करने का नाम ध्यान है। उन्होंने बताया कि चेतना की यात्रा चार चरणों में की जाती है। जाग्रत, स्वप्न, सुषुप्ति एवं तुरीय। स्वप्न अवस्था, जाग्रत अवस्था से ज्यादा प्रभावशाली होती है क्योंकि इस अवस्था में पदार्थ की अवश्यकता नहीं होती। योग ध्यान शिविर में बताया गया कि मन ही विषय को ग्रहण करता है और मन ही विषय का उपभोग करता है। सुषुप्ति अवस्था में सारी इच्छाएं खत्म हो जाती है आनंद ही शेष रहता है। जबकि, जाग्रत एवं स्वप्न अवस्था के अनुभव सुषुप्ति अवस्था में विलीन हो जाते है। इस अवस्था में नींद के प्रति भी सजग रहते हैं। सामूहिक ध्यान के दौरान डॉ. खत्री ने बताया कि जैसे नदी समुद्र में मिल जाती हैं उसी प्रकार इस अवस्था में संवेदनाएं एवं विचार सम्मिलित हो जाते है। इस अवस्था में चेतना अत्यधिक सजग हो जाती है।  जबकि, सुषुप्ति अवस्था के ध्यान के दौरान प्रारंभ में सजगतापूर्ण नींद आती है। अंतिम अवस्था में आनंद की प्राप्ति होती हैं। 

न्यूज़ सोर्स : अदनान खान एडिटर इन चीफ IND28