सतीश मैथिल सांचेत रायसेन। IND28.COM

बसंत पंचमी का त्योहार 26 जनवरी गुरुवार को मनाया जाएगा। बसंत पंचमी पर इस बार चार शुभ संयोग बन रहे हैं हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है।पुजारी मठ साधु संत के जिला रायसेन के अध्यक्ष पं अरुण शास्त्री ने बताया की इस साल बसंत पंचमी का त्योहार 26 जनवरी गुरुवार को मनाया जाएगा। शास्त्रों के अनुसार, इसी दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है। बसंत पंचमी से बसंत ऋतु की शुरुआत होती है। सनातन धर्म में मां सरस्वती की उपासना का विशेष महत्व है, क्योंकि ये ज्ञान की देवी हैं। मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने से मां लक्ष्मी और देवी काली का भी आशीर्वाद मिलता है।

बसंत पंचमी शुभ मुहूर्त---

पंचांग के अनुसार, माघ शुक्ल पंचमी 25 जनवरी की दोपहर 12 बजकर 34 मिनट से प्रारंभ होगी और 26 जनवरी को सुबह 10 बजकर 28 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार इस साल वसंत पंचमी 26 जनवरी 2023 को मनाई जाएगी।

सरस्वती पूजा का शुभ पूजा मुहूर्त

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दिनांक 26 जनवरी दिन गुरुवार को सुबह 07:12 मिनट से लेकर दोपहर 12:34 मिनट तक।

बसंत पंचमी पर बनेंगे 4 शुभ योग---

शिव योग : 26 जनवरी की सुबह 03 बजकर 10 मिनट से लेकर दोपहर 03 बजकर 29 मिनट तक रहेगा. इसमें ध्यान, पूजा का विशेष महत्व होता है।

सिद्ध योग: शिव योग की समाप्ति के बाद सिद्ध योग शुरु हो जाएगा।जो पूरी रात्रि तक रहेगा। सिद्ध योग को बेहद शुभ माना गया है।

सर्वार्थ सिद्धि योग: 26 जनवरी को शाम 06:57 मिनट से लेकर अगले दिन 07:12 मिनट तक रहेगा. इस योग में किए सभी कार्य सफल, संपन्न और सिद्ध होते हैं।

रवि योग : शाम 06:57 मिनट से लेकर अगले दिन सुबह 07:12 मिनट तक रहेगा. इस योग में किए गए सभी कार्यों में सूर्य देव की कृपा से अमंगल दूर होते हैं और शुभता की प्राप्ति होती है।

बसंत पंचमी पूजा विधि----

बसंत पंचमी वाले दिन सुबह स्नान आदि से निवृत होकर साफ पीले या सफेद रंग का वस्त्र पहनें। उसके बाद सरस्वती पूजा का संकल्प लें।पूजा स्थान पर मां सरस्वती की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। मां सरस्वती को गंगाजल से स्नान कराएं। फिर उन्हें पीले वस्त्र पहनाएं।

इसके बाद पीले फूल, अक्षत, सफेद चंदन या पीले रंग की रोली, पीला गुलाल, धूप, दीप, गंध आदि अर्पित करें। सरस्वती माता को गेंदे के फूल की माला पहनाएं।माता को पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं। इसके बाद सरस्वती वंदना एवं मंत्र से मां सरस्वती की पूजा करें। आप चाहें तो पूजा के समय सरस्वती कवच का पाठ भी कर सकते हैं।

आखिर में हवन कुंड बनाकर हवन सामग्री तैयार कर लें और च्ओम श्री सरस्वत्यै नमः: स्वहा” मंत्र की एक माला का जाप करते हुए हवन करें। फिर अंत में खड़े होकर मां सरस्वती की आरती करें।

 

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