सबसे पहले महादेव ने दिया था योग का ज्ञान, हजारों साल पुराना है इतिहास

सतीश मैथिल सांचेत रायसेन। (IND28 हर खबर पर पैनी नज़र)
हर साल 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। योग जिसका अर्थ है जुड़ना। ये तन मन और आत्मा को जोड़ता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार योग का संबंध भगवान शिव से है जिन्होंने सप्त ऋषियों को इसका ज्ञान दिया। योग का इतिहास सिंधु-सरस्वती सभ्यता से जुड़ा है।हर साल 21 जून को योग दिवस मनाया जाता है।इस दिन सांचेत में कई जगहों पर कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।भारत में योग का इतिहास सालों पुराना माना जाता है।ये शब्द संस्कृत के युज शब्द से लिया गया है। इसका सीधा मतलब है जुड़ना। ये जुड़ाव तन, मन और आत्मा के बीच का होता है। ये जीवन जीने का सलीका हमें सिखाता है।इंटरनेशनल योग दिवस पर देश दुनिया में कई जगहों पर योग कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। इसमें लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि योग का इतिहास क्या है।योग की बात जब भी होती है तो देवों के देव महादेव का जिक्र होता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, योग का संबंध भगवान शिव से है। उन्होंने ही सबसे पहले योग के महत्व को जाना था। इसके बाद सप्त ऋषियों ने भी योग किया। माना जाता है कि योग का इतिहास कई हजारों साल पुराना है। जिसकी उत्पत्ति भारत में ही हुई थी।
मन को मिलती है शांति-- योग सिर्फ व्यायाम नहीं, बल्कि शरीर और मन को संतुलित रखने की एक कला होती है। हिमालय के कांतिसरोवर झील के तट पर भगवान शिव सप्तऋषियों को योग का ज्ञान देते थे। वहीं योग की शुरुआत सभ्यता के शुरू होने के समय से ही हो गई थी। सबसे पहले योग के बारे में हमें जानकारी सिंधु-सरस्वती सभ्यता से मिलती है। वहां खुदाई के दौरान ऐसी कई मूर्तियां और मुहरें मिलीं जो योग करती हुईं नजर आ रही थीं। ये प्राचीन भारत में योग की उपस्थिति का सबूत देती है।
पतंजलि को कहते हैं योग का पिता--इसके अलावा लोक परंपराओं, वैदिक और उपनिषद, बौद्ध और जैन परंपराओं, महाभारत और रामायण महाकाव्यों, वैष्णवों और तांत्रिक परंपराओं में भी योग का इतिहास देखने को मिलता है। महर्षि पतंजलि को योग का पिता कहा जाता है। उन्होंने बहुत पहले योग के नियमों और तरीकों को ‘योग सूत्र’ नाम की किताब में लिखा था।1990 के बाद पूरी दुनिया में हुआ योग का विस्तार।इस किताब में योग के कई हिस्सों की बात की गई थी। जिसमें यम, नियम, आसन, प्राणायाम, ध्यान और समाधि शामिल हैं। 1900 के बाद योग पूरी दुनिया में फैलने लगा। स्वामी विवेकानंद, योगानंद, बीकेएस अयंगर और दूसरे महान योग गुरुओं ने योग को विदेशों तक पहुंचा दिया।
योग से बनी रहती है सेहत---आज योग सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में मानसिक शांति के लिए अपनाया जाता है। इससे हमारा शरीर भी सेहतमंद रहता है। योग भारत की एक ऐसी परंपरा है जो हजारों साल पुरानी है, लेकिन आज भी उतनी ही काम की है। यह न तो किसी धर्म से जुड़ा है और न ही किसी खास से। योग हर इंसान के लिए है।