-24.95 करोड़ रुपए की लागत से हुआ है 5 गेटों का निर्माण, किसानों को मिलेगी राहत

-वेस्ट वियर पर 9 मीटर ऊंचे और 5 मीटर चौड़ाई वाले 5 गेट लगाए गए हैं

-20 गांवों को बाढ़ के पानी से रास्ता बंद हो जाने से मिलेगी निजात 

अदनान खान सलामतपुर रायसेन। (एडिटर इन चीफ IND28 हर खबर पर पैनी नज़र)

तीन जिलों के 28 गांव के किसानों के लिए एक राहत भरी खबर है। सम्राट अशोक सागर परियोजना हलाली डेम पर गेटेड स्लिप वे का कार्य पूरा हो गया है। ओवरफ्लो के पानी की वजह से किसानों द्वारा बोई गई खरीफ की फसल हर साल डूब में आने से खराब हो जाती थी। इस समस्या को देखते हुए अब डेम में ओवरफ्लो वाले स्थान पर 5 चेनल गेट लगा दिए गए हैं। यह गेट लगने से आसपास क्षेत्र के किसानों की फसलें अब बर्बाद नही होंगी। दरअसल डेम में बारिश के दौरान अधिक जल भराव होने से आसपास के किसानों की ज़मीन डूब जाती थी। लेकिन अब उनकी फसलें बर्बाद नही होंगी। क्षेत्र के किसानों ने निर्माण कार्य पूरा होने पर खुशी जाहिर की है।

24.59 करोड़ रुपए की लागत के 5 गेटों का हुआ है निर्माण --ओवर फ्लो वाले स्थान पर पहले 9 मीटर ऊंचाई और 5 मीटर चौड़ाई के पिलरों के बीच में पांच गेट भी लगा दिए गए हैं। डेम का जल स्तर बढ़ने से इन गेटों से 1750 क्यूसेक पानी छोड़ा जा सकेगा। इससे होगा यह कि 28 गांवों के लगभग 2100 किसानों की 2400 हेक्टेयर जमीन में बोई गई खरीफ की फसल को डूबने से बचाया जा सकेगा।इतना ही नहीं फसल के अलावा नीनोद और कायमपुर गांव के रास्ते डूब में आ जाने से गांव टापू बन जाया करते थे। अब इन गांवों के रास्ते भी डूब में नहीं आएंगे। इससे बारिश के दिनों में यहां से आवागमन चालू रहने लगेगा। बारिश के दिनों में भी इलाज सहित आवश्यक सेवाएं दोनों गांव के रहवासियों को उपलब्ध हो सकेंगी।

1750 क्यूसेक पानी की निकासी हो सकेगी---डेम पर गेट लगाने का काम मई 2022 में शुरू किया गया है। इसका पूरा काम अक्टूबर 2023 तक पूरा किया जाना है। हालांकि इस बारिश में ही किसानों की खरीफ की फसल डूब में न आने पाए इसलिए जुलाई 2024 तक ही पांचों गेट लगा लेने का दावा परियोजना के सब इंजीनियर बीके बागुलिया द्वारा किया गया था। जिसे समय से ही पूरा कर लिया गया है। गेट लग जाने के बाद जल स्तर बढ़ने पर 1750 क्यूसेक पानी की निकासी की जा सकेगी। एक क्यूसेक एक घन फुट जल प्रवाह प्रति सेकेंड के बराबर है। लगभग एक क्यूसेक जल 28.317 लीटर प्रति सेकेंड के बराबर होता है।

ग्रामीणों के आवागमन के लिए डाउन स्ट्रीम में बना 57.50 मीटर लंबा ब्रिज---गेट के आगे डाउन स्ट्रीम में एक 57.50 मीटर लंबा ब्रिज भी बनाया गया है। इससे 15-20 गांवों के लोगों को बाढ़ के दौरान हर साल रास्ता बंद होने की समस्या से भी निजात मिल जाएगी। दरअसल बारिश के दौरान बाढ़ से नीनोद और कायमपुर गांव के रास्ते डूब में आ जाने के कारण गांव टापू बन जाया करते थे। बांध के डाउन स्ट्रीम में ब्रिज बनने से अब इन गांवों के रास्ते भी डूब में नहीं आएंगे। इससे बारिश के दिनों में यहां से आवागमन चालू रहेगा। ग्रामीणों को इसी रास्ते से आवागमन करना होगा, जबकि बांध पर निर्मित गेटेड स्लिप के ब्रिज का इस्तेमाल केवल सिंचाई विभाग का अमला ही कर सकेगा। यह अमला इस ब्रिज का उपयोग बांध के गेटों का नियंत्रण के कार्य के लिए करेगा।

इनका कहना है।

हर वर्ष हमारी फसलें हलाली के पानी से डूब में आ जाती हैं। जिसकी वजह से हमें लाखों रुपए का नुकसान उठाना पड़ता था।लेकिन अब ओवर फ्लो वाली जगह पर पानी रोकने के लिए 5 गेट लगा दिए गए हैं। जिससे इस वर्ष से हमारी फसलें नुकसान से बच जाएगी।

हिम्मत सिंह, स्थानीय किसान।

बारिश के मौसम में हलाली डेम के वेस्ट वियर का पानी मेरे गाँव निनोद व पास के कायमपुर गांव तक पहुंच जाता है। जिससे गांव टापू बन जाते हैं। ग्रामीणों को नाव के सहारे पूरे काम करना पड़ते हैं। अब गेट लग जाने से हमें राहत मिल सकेगी।

अभिषेक लोधी, स्थानीय किसान।

 

न्यूज़ सोर्स : अदनान खान एडिटर इन चीफ IND28