सतीश मैथिल/अभिषेक लोधी सांचेत रायसेन। IND28.COM

ग्राम सगोनिया में खड़ेश्वर शिव मंदिर पर चल रहे तीन दिवसीय राम महायज्ञ में मीणा परिवार द्वारा हनुमान जी की मढ़िया पर कलश स्थापना कर गुरुवार को भंडारे के सांथ समापन हुआ। भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने पहले हवन यज्ञ में आहुति डाली फिर प्रसाद ग्रहण कर पुण्य कमाया।श्रीराम महायज्ञ का आयोजन स्वर्गीय गजराज सिंह मीणा धवल सिंह मीणा पारथ सिंह मीणा अनिरुद्ध सिंह मीणा नरेंद्र सिंह मीणा के नेतृत्व व समस्त ग्रामवासी के सहयोग से से करवाया गया था। यज्ञ आचार्य पंडित लक्ष्मी नारायण शास्त्री ने 3 दिन लगातार यज्ञ के बाद चली कथा में भक्तों को मानव जीवन से जुड़े सत्कर्म तथा भागवत कथा की महिमा बताई। उन्होंने लोगों से भक्ति मार्ग से जुड़ने और सत्कर्म करने को कहा। उन्हों ने कहा कि हवन- यज्ञ से वातावरण एवं वायुमंडल शुद्ध होने के साथ-साथ व्यक्ति को आत्मिक बल मिलता है। व्यक्ति में धार्मिक आस्था जागृत होती है। दुर्गुणों की बजाय सद्गुणों के द्वार खुलते हैं। यज्ञ से देवता प्रसन्न होकर मनवांछित फल प्रदान करते हैं। उन्होंने बताया कि श्री राम महायज्ञ करने तथा भागवत कथा के श्रवण से व्यक्ति भव सागर से पार हो जाता है। श्री राम महायज्ञ से जीव में भक्ति, ज्ञान एवं वैराग्य के भाव उत्पन्न होते हैं। इसके श्रवण मात्र से व्यक्ति के पाप पुण्य में बदल जाते हैं। विचारों में बदलाव होने पर व्यक्ति के आचरण में भी स्वयं बदलाव हो जाता है। उहोंने भंडारे के प्रसाद का भी वर्णन किया। उन्होंने कहा कि प्रसाद तीन अक्षर से मिलकर बना है। पहला प्र का अर्थ प्रभु, दूसरा सा का अर्थ साक्षात व तीसरा द का अर्थ होता है दर्शन। जिसे हम सब प्रसाद कहते हैं। प्रसाद हर कथा या अनुष्ठान का तत्वसार होता है जो मन बुद्धि व चित को निर्मल कर देता है। मनुष्य शरीर भी ‘भगवान का दिया हुआ सर्वश्रेष्ठ प्रसाद है। जीवन में प्रसाद का अपमान करने से भगवान का ही अपमान होता है। भगवान का लगाए गए भोग का बचा हुआ शेष भाग मनुष्यों के लिए प्रसाद बन जाता है। कथा समापन मंगलवार को विधि विधान से पूजन अर्चन के बाद करवाई। दोपहर तक हवन और भंडारा कराया गया। यजमान शामिल हुए जिसमें बाबूलाल मीणा धर्मेंद्र मीणा बलवंत मीणा चंद्रशेखर मीणा विश्वजीत मीणा अरविंद मीणा रवि मीणा निर्मल मीणा आदि शामिल हुए।


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