सतीश मैथिल सांचेत रायसेन। IND28.COM 

-मौनी अमावस्या पर पंडित अरुण शास्त्री ने बताए तिथि, मुहूर्त और महत्व।

मौनी अमावस्या का पर्व 21 जनवरी को मनाया जा रहा है। मौनी अमावस्या को माघी अमावस्या के नाम भी जाना जाता है। साथ ही शनिवार को अमावस्या तिथि होने की वजह से इसे शनिश्चरी अमावस्या भी कहते हैं। इस दिन मौन रहकर जप-तप व दान किया जाता है ।पंडित अरुण शास्त्री वताते हैं मौनी अमावस्या का महत्व और पूजा विधि।

मौनी अमावस्या - 21 जनवरी दिन शनिवार

मौनी अमावस्या का महत्व

मौनी अमावस्या पूजा विधि

मौनी अमावस्या पर शुभ योग

मौनी अमावस्या पर शुभ मुहूर्त

माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को माघी या मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस बार यह शुभ तिथि 21 जनवरी है। शनिवार को अमावस्या तिथि पड़ने के कारण इसे शनिश्चरी अमावस्या भी कहा जाएगा। साथ ही इस दिन प्रयागराज में शाही स्नान भी किया जाएगा। मौनी अमावस्या की तिथि पर पवित्र नदियों में स्नान, जप-तप, दान-पुण्य के कार्य करने का विशेष महत्व है। इस अमावस्या तिथि को साधु-संतों की तरह चुप रहकर और मन को शांत करके ध्यान करना बहुत उत्तम माना जाता है। पद्म पुराण में बताया गया है कि मौनी अमावस्या के दिन मौन रहकर किए गए जप-तप और दान से भगवान विष्णु बहुत प्रसन्न होते हैं और विशेष धर्म लाभ प्राप्त होता है।

मौनी अमावस्या का महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त-

मौन रहकर किया जाता है ध्यान।

मौनी अमावस्या के दिन पूरे दिन मौन रहा जाता है। इसलिए इसे मौनी अमावस्या कहते हैं। जैसे कि इसके नाम से जानकारी मिलती है, मौनी अर्थात मौन रहना। इस दिन व्रत रखने वाले पूरे दिन मौन धारण करके ईश्वर का ध्यान करते हैं। धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यों को करने के लिए मौनी अमावस्या की तिथि बहुत उत्तम मानी जाती है। मान्यता है कि इस दिन मनु ऋषि का भी जन्म हुआ था।

मौनी अमावस्या का महत्व--

मौनी अमावस्या को माघी अमावस्या भी कहा जाता है। मौनी अमावस्या के दिन धर्म कर्म के कार्यों को करने से जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। अमावस्या तिथि पर स्नान के बाद सूर्यदेव को अर्ध्य देकर पूजन करना बहुत उत्तम माना जाता है। इस दिन कंबल, फल, गर्म कपड़े, अन्न आदि का दान करने का विशेष महत्व है। माघ का महीना भगवान विष्णु को अति प्रिय है, इस महीने किए गए जप-तप, दान और पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। वहीं जो लोग कुंभ, नदी में जाकर स्नान नहीं कर सकते, वे घर में गंगा जल मिलाकर सभी तीर्थों का आह्वान करते हुए स्नान कर सकते हैं।

मौनी अमावस्या पर शुभ योग-- 

मौनी अमावस्या पर इस बार बेहद शुभ योग बन रहे हैं। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ 30 साल बाद खप्पर योग बन रहा है। खप्पर योग शनि के शुभ प्रभाव के लिए किए जाने वाले उपायों के लिए विशेष फलदायी माना जाता है। मौनी अमावस्या से कुछ दिन पहले यानी 17 जनवरी को शनि मकर राशि से निकलकर कुंभ राशि में परिवर्तन कर चुके हैं। इस वक्त मकर राशि में सूर्य और शुक्र की युति और त्रिकोण की जो स्थिति बन रही है, उससे खप्पर योग का निर्माण हो रहा है।

मौनी अमावस्‍या शुभ मुहूर्त

मौनी अमावस्या - 21 जनवरी दिन शनिवार

अमावस्या तिथि का प्रारंभ - 21 जनवरी, सुबह 06 बजकर 17 मिनट से

अमावस्या तिथि का समापन - 22 जनवरी, सुबह 02 बजकर 22 मिनट तक

सूर्योदय - 21 जनवरी, सुबह 07 बजकर 13 मिनट पर

उदया तिथि की मानते हुए मौनी अमावस्‍या 21 जनवरी दिन शनिवार को मनाई जाएगी।

मौनी अमावस्या पूजा विधि--

मौनी अमावस्या की तिथि पर ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर की साफ-सफाई करके गंगा-यमुना या किसी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। स्नान करते समय ‘गंगा च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती, नर्मदे सिंधु कावेरी जलेस्मिन संनिधिम कुरु’ इस मंत्र का जप अवश्य करें। स्नान करने के बाद तांबे के लोटे में काले तिल, लाल फूल मिलाकर सूर्य को जल अर्ध्य दें और श्रीहरि का ध्यान करते हुए मौन रहने का संकल्प लें। मौन रहकर ही गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन कराएं और पितरों के नाम का दान भी करें। इस दिन तुलसी की पूजा करें और 108 बार परिक्रमा करें।

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