-राजस्थान जयपुर की बाइकर्स टीम के सदस्यों ने भी कर्क रेखा पर ली सेल्फी

-भोपाल विदिशा स्टेट हाइवे 18 पर स्तिथ है कर्क रेखा

-पर्यटकों को स्वाद संगम कैंटीन में मिली सुविधाएं

अदनान खान सलामतपुर रायसेन। (एडिटर इन चीफ IND28 हर खबर पर पैनी नज़र)

हम बचपन से यह कहावत सुनते चले आ रहे है कि कोई साथ हो न हो, आदमी का साया हमेशा उसके साथ रहता है। लेकिन 21 जून को कर्क रेखा क्षेत्र में आदमी का साया भी उसका साथ छोड़ देता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कर्क रेखा स्थल पर 21 जून को दोपहर 12 बजे सूर्य की किरणे 90 डिग्री लम्बवत पड़ने के कारण खड़े व्यक्ति की परछाईं ही नहीं बनती। इसलिए कर्क रेखा क्षेत्र को नो शैडो जोन भी कहा जाता है। जिस कर्क रेखा को हमने बचपन से भूगोल में पढ़ा है और ग्लोब पर जिसे देखा है, उस स्थान पर ठहरना अपने आप में एक सुखद अनुभूति है। कर्क रेखा भोपाल से 25 किलोमीटर दूर उत्तर से निकलती है। जहां से यह गुजरती है वह स्थान भोपाल विदिशा स्टेट हाईवे-18 पर जिले के सलामतपुर के बेरखेड़ी चौराहे के पास स्थित है। कर्क रेखा को चिन्हांकित करने के लिये उस स्थल पर राजस्थानी पत्थरों से चबूतरानुमा स्मारक बनाया गया है। यह स्थान रायसेन जिले का सबसे आर्कषक सेल्फी पाइंट है। यहां से निकलने वाला प्रत्येक व्यक्ति सेल्फी लिये बिना आगे नहीं बढ़ता। इस साल भीड़ बहुत अधिक संख्या में देखने को मिली। हर साल 21 जून को जहां लोग अपनी परछाई जाते हुए देखने आते हैं। शनिवार 21 जून को दोपहर 12 बजे पर्यटक यहां पहुंचे और उन्होंने देखा कि वास्तव में ही उनकी परछाई कुछ समय के लिए गायब हो गई। इस दिन यहां पर दिल्ली और राजस्थान जयपुर से बाइकर्स टीम भी अपनी 8 मोटरसाइकिलों के साथ पहुंची और सेल्फी ली। भोपाल, विदिशा, रायसेन से भी काफी संख्या में पर्यटक पहुंचे और सेल्फी लेते हुए नज़र आए।

भारत के इन शहरों और राज्यो से गुजरती है कर्क रेखा--23.32 डिग्री उत्तरी अक्षांष कर्क रेखा मध्यप्रदेश के रायसेन, विदिशा, सागर, दमोह, कटनी, उमरिया, शहडोल और जबलपुर जिलों से गुजरती है। जिन स्थानों से यह रेखा गुजरती है वहां ग्रीष्म ऋतु की अवधि शीत ऋतु से अधिक होती है। दक्षिण अफ्रीका के सहारा मरूस्थल का अधिकांश हिस्सा कर्क रेखा पर होने के कारण यहां का तापमान सबसे अधिक होता है। कर्क रेखा मध्यप्रदेश के अलावा गुजरात राजस्थान छत्तीसगढ़ झारखंड पष्चिम बंगाल मिजोरम राज्यों से निकलती है।

इन देशों से होकर गुजरती है कर्क रेखा--संयुक्त राज्य अमेरिका (हवाई-केवल सागर कोई भी द्वीप इस रेखा पर नहीं है)मैक्सिको में मजातलान (प्रशांत महासागर के उत्तर में ) बहामास पश्चिमी सहारा (मोरोक्को द्वारा दावा किया गया) मौरीटानिया माली अल्जीरिया नाइजर लीबिया चाड मिस्र सऊदी अरब संयुक्त अरब इमारात ओमान भारत बांग्लादेश म्यांमार चीन (मात्र गुआंगजोऊ के उत्तर से) तथा ताइवान से होकर निकलती है।

कर्क रेखा पाइंट पर स्वाद संगम कैंटीन खुलने से पर्यटकों को मिली सुविधाएं--कर्क रेखा पर शनिवार के दिन काफी संख्या में पर्यटक पहुंचे तो उन्हें इस बार खाने पीने की सामग्री के लिए परेशान नही होना पड़ा। क्योंकि यहां पर स्वाद संगम कैंटीन खुलने से पर्यटकों को काफी सुविधा मिली। जिले में विश्व धरोहर सांची के स्तूपों एवं बौद्ध स्मारक सतधारा एवं सुनारी के समीप भोपाल-विदिशा स्टेट हाइवे 18 के समीप कर्क रेखा निकलने वाला पाइंट है। जिस पर सॉंची, विदिशा जाने वाले हजारों पर्यटक एवं यात्रीगण रूककर देखते हैं तथा सेल्फी के रूप में अपनी यात्रा को यादों के रूप में सहेजते है। यात्री/पर्यटकों की सुविधा एवं समूह की दीदियों को आजीविका से जोड़ने के उद्देश्य से शासन के निर्देशानुसार मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत रायसेन के निर्देशन में कर्क रेखा पाइंट पर मप्र डे-राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन रायसेन द्वारा ‘‘स्वाद संगम केन्टीन एवं प्रदर्शनी केन्द्र’’ का शुभारंभ किया गया है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के निर्देशानुसार ऐसे भवन जो रिक्त हैं एवं उपयोग में नहीं आ रहे हैं, उन्हें स्व-सहायता समूह की मांग पर समूह के संगठन को सौंपा जा सकता है। कर्क रेखा के निकट अनुपयोगी पंचायत भवन की मरम्मत कर, उसे उपयोग में लाकर सत्या स्व-सहायता समूह ग्राम छोला पंचायत नरखेड़ा विकासखंड सॉंची को सौंपा गया एवं भवन की मरम्मत पंचायत द्वारा कराई गई । स्वाद संगम केन्टीन एवं प्रदर्शनी हेतु समूह को सीसीएल से राशि उपलब्ध कराई गई है। म.प्र. डे-रा.ग्रा.आ.मिशन द्वारा रायसेन जिले में गरीब वर्ग की महिलाओं को लखपती की श्रेणी में लाने हेतु सतत् प्रयास किये जा रहे है। इसी क्रम में 30 जनवरी 2025 को कर्करेखा ग्राम नरखेडा विकासखंड सॉंची जिला रायसेन में विधायक डॉ प्रभुराम चौधरी ने जनपद सॉची अंतर्गत उन्नति संकुल स्तरीय संगठन के द्वारा संचालित स्वाद संगम केन्टीन एवं प्रदर्शनी केन्द्र का शुभारंभ किया है। जिसका संचालन ग्राम छोला के सत्या स्व सहायता समूह की नीतू जाटव द्वारा किया जा रहा है। 

इनका कहना है।

हमने सुना था कि 21 जून को दोपहर 12 बजे कर्क रेखा स्थल पर अपनी परछाई गायब हो जाती है। इसलिए हम यहां परिवार के साथ आए थे। और वास्तव में ही दोपहर 12 बजे कुछ समय के लिए मेरी परछाई गायब हो गई।

गगन शर्मा, पर्यटक दिल्ली।

नो शेडो ज़ोन पर हर वर्ष 21 जून को बड़ी संख्या में पर्यटक अपनी परछाई को गायब होते हुए देखने कई शहरों से आते हैं। इस बार तो बहुत ही ज़्यादा लोग आए थे। में भी अपनी बाइकर्स टीम के साथ जयपुर राजस्थान से यहां आया हूं।

समीर पिल्लई, बाइकर्स टीम जयपुर राजस्थान।


न्यूज़ सोर्स : अदनान खान एडिटर इन चीफ IND28